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मणिपुर में हिंसा का दौर जारी, नहीं थम रही हे गोलाबारी; कुकी थोवई गांव में तीन लोगों की मिली लाश

जातीय संघर्षग्रस्त मणिपुर में हिंसा (Manipur Violence) भारी गोलीबारी

ताजा दौर में शुक्रवार को उखरूल जिले के कुकी थोवई गांव में भारी गोलीबारी के बाद तीन युवकों के क्षत-विक्षत शव मिले। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को पूर्वोत्तर राज्य में जातीय झड़पें हुईं। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला शुक्रवार को उखरूल जिले के कुकी थोवई गांव में देखने को मिला, जहां भारी गोलीबारी के बाद तीन युवकों के क्षत-विक्षत शव मिले।

तीन युवकों के मिले शव

अधिकारियों ने बताया कि लिटन पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले गांव से सुबह-सुबह भारी गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा आसपास के गांवों और वन क्षेत्रों में गहन तलाशी के बाद 24 साल से 35 साल की उम्र के तीन युवकों के शव पाए गए।

 

तीन मई से भड़की हिंसा

अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को पूर्वोत्तर राज्य में जातीय झड़पें हुईं। मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। वहीं, आदिवासी नागा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं। वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

 

 

 

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