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एएनएम, सेविका और आशा कार्यकर्ताओं को दिया गया एईएस का प्रशिक्षण

– जिले के शेखपुरा पीएचसी के सभागार हाॅल में एईएस से निपटने को दिया गया प्रशिक्षण
– चमकी से बचाव के लिए तीन धमकियां ; खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ का पालन जरूरी
शेखपुरा, 20 अप्रैल-
जिले के शेखपुरा पीएचसी परिसर स्थित सभागार हाॅल में मंगलवार की शाम एईएस/जेई (चमकी बुखार/मस्तिष्क ज्वर) के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । जिसमें पीएचसी की एएनएम और आशा कार्यकर्ता के अलावा प्रखंड की सेविकाओं ने भी भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान मौजूद सभी कर्मियों को डीभीबीडीसीओ डाॅ अशोक कुमार सिंह द्वारा एईएस से निपटने की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही इस बीमारी से बचाव के अलावा इसके कारण, लक्षण एवं समुचित इलाज की भी जानकारियाँ दी गई।  वहीं, उन्होंने कहा, एईएस/जेई से निपटने और जिले को इससे मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को एकजुट होकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने की जरूरत है। तभी हम इस बीमारी से सुरक्षित रह सकते और हमारा जिला एईएस/जेई मुक्त बन सकता है। इसलिए, मैं प्रशिक्षण में मौजूद सभी प्रतिभागियों से अनुरोध करता हूँ कि सभी लोग एकजुट होकर अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करें। वहीं, उन्होंने कहा, इसके लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी जरूरी है। इसलिए, अभियान चलाकर लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक भी करें और आवश्यक जानकारियाँ भी उपलब्ध कराएं। वहीं, उन्होंने कहा, इसके अलावा जन सहयोग की भी जरूरत है। इसलिए, मैं तमाम प्रखंड वासियों से अपील करता हूँ कि सभी लोग एकजुट होकर इस बीमारी के खिलाफ आगे आएं और इस बीमारी से बचाव के लिए चिकित्सा परामर्श का पालन करें।
– एईएस से बचाव के बच्चों को भी करें जागरूक :
प्रशिक्षण के दौरान मौजूद प्रतिभागियों को एईएस/जेई पर रोकथाम के लिए आवश्यक जानकारी देते हुए वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी श्याम सुंदर कुमार ने कहा, इस बीमारी से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर बच्चों को जागरूक करने की भी जरूरत है। इसलिए, विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्रों समेत अन्य संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को चेतना सत्र के तहत एईएस/जेई से बचाव के क्या कराना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए समेत बचाव से संबंधित अन्य जानकारियाँ दें और इस बीमारी के कारण, लक्षण एवं उपचार की विस्तृत जानकारी दें। ताकि लक्षण महसूस होते ही बच्चे अपने अभिभावकों को अपनी परेशानी से अवगत करा सकें और समय पर संबंधित बच्चों का इलाज शुरू हो सके। क्योंकि, इस बीमारी को मात देने के समय पर इलाज शुरू कराना बेहद जरूरी है।
– चमकी से बचाव के लिए तीन धमकियां का पालन करने के लोगों को करें जागरूक :
प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक धर्मवीर चौधरी ने कहा, चमकी से बचाव के लिए तीन धमकियां का पालन करने के लिए लोगों को जागरूक करें। पहला खिलाओ, दूसरा जगाओ और तीसरा अस्पताल ले जाओ। इसी के तहत बच्चों को रात में बिना खिलाए नहीं सुलाने, सुबह में जगाने और लक्षण महसूस होने पर तुरंत स्थानीय और नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान ले जाने के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करें। वहीं, उन्होंने कहा, मैं तमाम प्रखंड वासियों से भी अपील करता हूँ कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता को चमकी (मस्तिष्क) बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए।
– ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :
– लगातार तेज बुखार चढ़े रहना।
– बदन में लगातार ऐंठन होना।
– दांत पर दांत दबाए रहना।
– सुस्ती चढ़ना।
– कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
– चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।
– चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी :
– बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
–  गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
– ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
–  पैरासिटामोल की गोली या सिरप दें।

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