एएफपी, खसरा और रूबेला की निगरानी को लेकर कार्यशाला आयोजित
-जेएलएनएमसीएच के औषधि विभाग में डब्ल्यूएचओ ने कराया आयोजन
-अस्पताल अधीक्षक समेत कई वरिष्ठ डॉक्टरों ने कार्यशाला में लिया भाग
भागलपुर, 19 मई-
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के औषधि विभाग में गुरुवार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में एएफपी, खसरा एवं रूबेला रोग के बारे में बताया गया। अस्पताल अधीक्षक डॉ. असीम कुमार दास, डॉ. विनय कुमार, डॉ. अभिलेष कुमार, डॉ. हेमशंकर शर्मा और डॉ. राजकमल चौधरी एवं डब्ल्यूएचओ के डॉ. आशीष टिग्गा एवं डॉ. सौमाल्या घोष ने कार्यशाला में मौजूद सीनियर और जूनियर रेजिडेंट और इंटर्न को खसरा, रूबेला, डिप्थीरिया, प्रटुसिस एवं नवजात टेटनस के संबंधित केस को तत्काल रिपोर्ट कर उसकी जांच करने के लिए बताया।
एकाएक लुंजपुंज लकवा को ऐसे पहचानें- कार्य़शाला में बताया गया कि अगर पिछले छह माह के दौरान 15 वर्ष तक बच्चे में अचानक शरीर के किसी भी हिस्से में कमजोरी अथवा किसी भी उम्र के व्यक्ति में लकवा जिसमें पोलियो की आशंका हो तो उसकी तत्काल जांच कराएं। यह एकाएक लुंजपुंज लकवा हो सकता है।
खसरा-रूबेला के ये हैं लक्षण- किसी भी उम्र के व्यक्ति को बुखार के साथ लाल दाना हो अथवा कोई भी व्यक्ति जिसमें एक चिकित्सक खसरा-रूबेला संक्रमण का संदेह करता है, उसकी तत्काल जांच कराएं। मरीज की जांच करते वक्त इन बातों का ध्यान रखें।
डिप्थेरिया की ऐसे करें पहचान- यदि किसी भी उम्र के व्यक्ति को बुखार, गले या टॉन्सिल में दर्द हो रहा हो लाल हो गया हो, खांसी के साथ आवाज भारी हो गई हो और टॉन्सिल या उसके आसपास सफेद ग्रे रंग की झिल्ली हो तो यह डिप्थेरिया हो सकता है। डॉक्टरों को इसकी जांच में देरी नहीं करनी चाहिए।
काली खांसी को पहचानें- किसी भी उम्र का ऐसा व्यक्ति जिसे कम-से-कम दो सप्ताह से खांसी हो रही हो या फिर खांसी का लगातार होना, खाने के बाद सांस लेने की जोरदार आवाज होना, ये सब काली खांसी के लक्षण हैं। इसके अलावा खाने के तुरंत बाद उल्टी होना एवं अन्य स्पष्ट चिकित्सकीय कारण ना होना अथवा शिशुओं में खर्राटे के साथ किसी भी अवधि की खांसी होना देखते हैं तो उसकी जांच करा लेनी चाहिए।
इसे कहते हैं नवजात टेटनेस ऐसा नवजात शिशु जो जन्म के दो दिन तक ठीक से मां का दूध पी रहा था एवं सामान्य रूप से रो रहा था, लेकिन तीसरे दिन से 28 दिन के बीच में मां का दूध पीना बंद कर दिया हो, शरीर अकड़ने लगा हो और झटके आने लगे हो तो नवजात को टेटनेस हो सकता है। अधीक्षक डॉ. असीम कुमार दास ने बताया कि फिजिशियन के पास हर तरह के केस आते हैं, इसलिए इन लक्षणों पर गौर करें और उसकी जांच कराकर इलाज करें।