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नियमित दवा का सेवन किया तो एमडीआर टीबी से हो गए मुक्त

-अमरपुर प्रखंड के डुमरामा गांव के रहने वाले मृत्युंजय साह अब पूरी तरह से हैं स्वस्थ
-2018 में आ गए थे टीबी की चपेट में, सरकारी सुविधा मिलने से टीबी को दे दी मात
बांका, 4 मई-
सरकार 2025 तक देश को टीबी से मुक्त कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसे लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। टीबी मरीजों के लिए दवा से लेकर प्रोत्साहन राशि तक की व्यवस्था है। इसी का नतीजा है कि न सिर्फ टीबी के सामान्य रोगी, बल्कि एमडीआर टीबी के मरीज भी स्वस्थ्य हो जा रहे हैं। बांका जिले के अमरपुर प्रखंड के डुमरामा गांव के मृत्युंजय साह इसका जीता-जागता मिसाल हैं। 2018 में मृत्युजंय एमडीआर टीबी की चपेट में आए थे, लेकिन दवा का नियमित तौर पर सेवन किया तो 2021 में पूरी तरह से स्वस्थ हो गए।
टीबी विभाग के लोगों से मिली जानकारीः मृत्युंजय कहते हैं कि यदि सरकारी सहायता नहीं मिलती तो पता नहीं क्या होता, लेकिन सरकार को इस बात का लाख-लाख शुक्र कि टीबी जैसी गंभीर बीमारी के लिए मरीजों को पूरी सुविधा उपलब्ध करा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मी गांव-गांव जाकर लोगों को इस बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसका फायदा भी लोगों को मिल रहा और बड़ी संख्या में टीबी के मरीज स्वस्थ्य हो रहे हैं। मेरा ही ले लीजिए। मैं जब टीबी की चपेट में आया था तो सूझ नहीं रहा था कि क्या करें, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के लोगों से जब मुझे इसके इलाज को लेकर मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी मिली तो मैंने अपना इलाज शुरू करवाया। एमडीआर टीबी होने की वजह से मुझे ठीक होने में थोड़ा समय लग गया, लेकिन अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ्य हूं। मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है। टीबी के सामान्य मरीज तो बहुत ही कम समय में ठीक हो जा रहे हैं। इसलिए लोगों से मेरी अपील है कि अगर मन में जरा सी भी आशंका हो तो टीबी की जांच करवाएं और टीबी की पुष्टि हो जाने के बाद इलाज शुरू कर दें। जल्द ही ठीक हो जाएगा।
बीच में नहीं छोड़ें टीबी की दवाः सीडीओ डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि टीबी के मरीज अगर बीच में दवा छोड़ देते तो उसे एमडीआर टीबी होने की संभावना रहती है। इसलिए टीबी के मरीज दवा को बीच में नहीं छोड़ें। कोर्स पूरा करने के बाद टीबी के मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं। अगर दवा का कोर्स पूरा हो जाए तो एक बार नजदीकी अस्पताल में जाकर अपनी जांच करवा लें। जांच में पूरी तरह से ठीक होने की पुष्टि होने पर ही दवा का सेवन बंद करें। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति को दो हफ्ते तक लगातार खांसी हो, बलगम में खून आए या फिर रात में पसीना आने की शिकायत हो तो वह तत्काल टीबी की जांच करा लें। जांच में अगर टीबी होने की बात सामने आती है तो तत्काल इलाज शुरू कर दें। नियमित तौर पर दवा का सेवन करने से टीबी से छुटकारा मिल जाएगा।

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