बिहार से एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़) के उन्मूलन के लिए सरकार प्रतिबद्ध: स्वास्थ्य मंत्री
-विश्व में हर 5 में से 1 व्यक्ति नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज से है ग्रसित
-विश्व एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़) दिवस (30 जनवरी, 2021) के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ वर्चुअल संवाद
पटना, 30 जनवरी, 2020 :
”बिहार से एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़) के उन्मूलन के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसके लिए सभी विभागों एवं सहयोगियों के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है“. उक्त बातें बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने शुक्रवार को अपनेविश्व एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़) दिवस (30 जनवरी, 2021) के उपलक्ष्य में आयोजित संवाद में वर्चुअल रूप से जुड़ते हुए यह बात कही। इस चर्चा का आयोजन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य सहयोगियों यथा- ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटजीज (जीएचएस), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) एवं सीफार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए किया गया था। इस अवसर पर विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों ने भी भाग लिया।
लोगों से वर्चुअल रूप से संवाद करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “ दुनिया में हर 5 में से 1 व्यक्ति नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज से ग्रसित है। पिछले कुछ वर्षों में एनटीडी के खिलाफ महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और इसी क्रम मे बिहार सरकार 2021 में कालाजार और फाइलेरिया के उन्मूलन हेतु प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में उन्होंने बताया कि विगत 30 दिसंबर 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा भी कालाजार के विषय पर कई राज्यों के साथ गहन चर्चा की गयी थी।
एनटीडी उन्मूलन के कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने से आर्थिक विकास, समृद्धि एवं लैंगिक समानता को भी बढ़ावा मिलेगा:
यह प्राचीन व गंभीर रोग हैं जो हर जगह, हर किसी की शिक्षा, पोषण और आर्थिक विकास पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। इनके उन्मूलन के कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने से आर्थिक विकास, समृद्धि एवं लैंगिक समानता को भी बढ़ावा मिलेगा। दुनिया भर में 1.7 अरब लोगों को प्रभावित करने वाली ये बीमारियां हर साल होने वाली हज़ारों मौतों का कारक है जिनको रोका जा सकता था। यह शरीर को अक्षम बना देती हैं जिससे रोगी गरीबी के चक्र में फंस जाता है।
विभिन्न क्षेत्रों, उद्योगों के बीच सहभागिता द्वारा दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का निर्माण, बेहतर स्वास्थ्य सेवाओ की दूर-दराज इलाकों तक पहुंच सुनिश्चित कर बिहार को एनटीडी से मुक्त करने की अपील की गई। यह बताया गया कि बहुत लोग स्वस्थ भविष्य के लिए खड़े हैं। साथ सब मिलकर एनटीडी से मुकाबला करने की बात कही गई |
एनटीडी अधिकतर सबसे गरीब, सबसे कमजोर आबादी को प्रभावित करता है:
बढ़ते क्रम में, स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख, रोग नियंत्रण (डायरेक्टर इन चीफ ), डॉ. नवीन चन्द्र प्रसाद ने बताया कि एनटीडी दुर्बल और जीवन को प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है, जो अधिकतर सबसे गरीब, सबसे कमजोर आबादी को प्रभावित करता है। एनटीडी में लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) विसेरल लीशमैनियासिस (कालाज़ार) , लेप्रोसी (कुष्ठरोग), डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रेबीज़ जैसे रोग शामिल होते हैं, जिनकी रोकथाम संभव है; मगर फिर भी इन रोगों के कारण भारत के हज़ारों लोग हर साल या तो मारे जाते हैं या फिर विकलांग हो जाते हैं। इस बीमारी पर नियंत्रण पाए जाने के बावजूद, एनटीडी प्रभावित लोगों को काफी पीड़ित, विकृति और विकलांगता का सामना करना पड़ता है। भारत दुनिया भर में प्रत्येक प्रमुख एनटीडी के लिए पहले स्थान पर है।
एनटीडी बीमारियों के कारण लोग हाथीपांव (लिम्फैटिक फाइलेरिया), कालाज़ार (विसेरल लीशमैनियासिस) के होते हैं शिकार:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टेट एन.टी.डी कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पाण्डेय ने बिहार में एनटीडी बीमारियों के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में प्रकाश डाला और विशेष रूप से हाथीपांव (लिम्फैटिक फाइलेरिया), कालाज़ार (विसेरल लीशमैनियासिस) जैसे अभियानों के बारे में विस्तार से बताया.उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एनटीडी से जुड़े सारे कार्यक्रमों का गहन अनुश्रवण कर रही है और इस सम्बन्ध में सार्थक प्रयास हो रहें हैं.
राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. एन. पी. शर्मा ने बताया कि एनटीडी दिवस, वर्ष 2012 में लंदन की ऐतिहासिक घोषणा की वर्षगांठ को चिह्नित करता है, जो कि एनटीडी पर अधिक निवेश और कार्रवाई के लिए और अधिक सक्रिय रूप से कार्य करने के लिए क्षेत्रों, देशों और समुदायों की भागीदारों को एकीकृत करता है। वर्ष 2020 में विश्व को इन बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए पहली बार विश्व एनटीडी दिवस मनाया गया था | बिहार सरकार भी, भारत सरकार के दिशा-निर्देश और प्रतिबद्धता के अनुसार, ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक एनटीडी के पूर्ण उन्मूलन के लिए सभी संभव प्रयास कर रही है.
पहले कालाजार मरीज़ के इलाज में लगते थे 28 दिन मगर अब मात्र 1 दिन में 1 खुराक हो रहा इसका इलाज :
राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. एन. पी. शर्मा ने बताया कि बिहार से कालाजार का उन्मूलन वर्ष 2021 में रखा गया है।पहले कालाजार मरीज़ के इलाज में 28 दिन लगते थे मगर अब मात्र 1 दिन में 1 खुराक से ही इसका इलाज किया जा रहा है | बिहार के 38 जिलों के 33 कालाजार से प्रभावित जिलों में जहाँ 458 ब्लॉक अति-प्रभावित थे वहीँ अब केवल 4 ब्लॉक अति-प्रभावित रह गए हैं |
प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि अशोक सोनी ने बताया कि बिहार राज्य के 9 जिलों मे कालाजार एवं फ़ाइलेरिया के उन्मूलन हेतु ग्राम स्तर पर समुदाय को जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ जैसे स्चूली बच्चों के बीच पेंटिंग प्रतियोगिता आदि संचालित की जा रही है |
एनटीडी के सम्बन्ध में जन-जागरूकता फैलाने में मीडिया की भूमिका है महत्वपूर्ण:
एनटीडी के सम्बन्ध में जन-जागरूकता फैलाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में चर्चा के दौरान मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज के अनुज घोष ने कहा कि , “इस बीमारी को रोकने के लिए और इस कार्य को सुनिश्चित करने के लिए एनटीडी पर स्पॉटलाइट लाने का समय है कि इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाए और इस सम्बन्ध में मिशन मोड पर कार्रवाई की जाए, पत्रकारों से बीमारियों के बारे जन-समुदाय में जागरूकता पैदा करने के लिए निरंतर संवाद किया जाये, उन्हें आवश्यक जानकारी भी उपलब्ध कराई जाये ताकि, कार्यक्रमों के अन्दर संपादित की जा रही गतिविधियों की सही तस्वीर लोगों तक पहुँच सके | एनटीडी के उन्मूलन के लिए और विश्व एनटीडी दिवस के दौरान, सार्थक लेखन अधिक जागरूकता के प्रसार के लिए उन्होंने मीडिया सहयोगियों से आग्रह किया।