लखीसराय जिला के सभी पंचायतों में घर- घर जाकर कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर रही आशा और आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका
- चिह्नित कुपोषित बच्चों को जिला मुख्यालय स्थित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में करवाएगी भर्ती
- एनआरसी में 15 दिनों रहने के बाद ठीक होकर घर लौटने के बाद भी लगातार बच्चे के स्वास्थ्य की करेगी मॉनिटरिंग
लखीसराय, 21 अगस्त-
जिला को कुपोषण मुक्त बनाने के उद्देश्य से अब जिला के सभी प्रखंड़ों और पंचायत स्तर पर आशा कार्यकर्ता, आशा फैसिलिटेटर के साथ – साथ आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर रही हैं। इसके बाद चिह्नित कुपोषित बच्चों को सदर अस्पताल लखीसराय स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराएंगी ।
जिले के कुपोषित बच्चों को चिह्नित करने का निर्णय
लखीसराय के सिविल सर्जन डॉ. देवेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि जिला के सभी कुपोषित बच्चों को चिह्नित करने के उद्देश्य से और कोरोना संक्रमण की सम्भावित तीसरी लहर को देखते हुए कोरोना गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन करते हुए आशा कार्यकर्ता, फैसिलिटेटर के साथ -साथ आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका द्वारा जिले के कुपोषित बच्चों को चिह्नित करने का निर्णय लिया गया है। सही पोषण तो देश रौशन अभियान के तहत चिह्नित किए गए सभी कुपोषित बच्चों को सही पोषण और समुचित इलाज के लिए उसके अभिभावक खासकर बच्चे या बच्ची की मां के साथ 15 दिनों के लिए सदर अस्पताल लखीसराय स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाएगा ।
पोषण पुनर्वास केंद्र लखीसराय में कुपोषित बच्चों के सही पोषण एवं समुचित इलाज की है व्यवस्था :
उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित चिह्नित किए गए बच्चे या बच्ची की एनआरसी के मापदंड के अनुसार फिर से जांच की जाती है। इसमें यह देखा जाता है कि बच्चा किस हद तक कुपोषित है और उसका किस प्रकार से समुचित इलाज किया जा सकता है। कुपोषित बच्चों की जांच के दौरान यह देखा जाता है कि उम्र के अनुसार बच्चे का वजन है कि नहीं ,या बच्चे के बांह की गोलाई मापदंड के अनुसार है कि नहीं। इसके साथ ही बच्चे के दोनों पैर के बीच की दूरी मापदंड के अनुसार है कि नहीं। बच्चों में कुपोषण के स्तर की जांच के बाद बच्चे के सही पोषण एवं समुचित इलाज के लिए उसके अभिभावक के साथ अगले 15 दिनों के लिए भर्ती कर लिया जाता है।
एनआरसी में सही पोषण और समुचित इलाज के बाद डिस्चार्ज करने बाद भी आशा और आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका द्वारा की जाएगी मॉनिटरिंग :
उन्होंने बताया कि 15 दिनों तक एनआरसी में कुपोषित बच्चे के पोषण का सही तरीके से ख्याल रखने और समुचित इलाज पूरा हो जाने का बाद बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इसके बाद भी आशा कार्यकर्ता, आशा फैसिलिटेटर आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका लगातार बच्चे की मॉनिटरिंग करती रहेंगी और किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर बच्चे को पुनः एनआरसी में भर्ती भी करवाएगी। इसके बाद ही जिला के सभी कुपोषित बच्चों को चिह्नित करने के बाद उसका समुचित इलाज संभव हो पाएगा।