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लखीसराय में कोरोना का संक्रमण कम होने के बाद कुपोषित बच्चों के लिए पोषण एवं पुनर्वास केंद्र शुरू - Mobile News 24 ✓ Hindi men Aaj ka mukhya samachar, taza khabren, news Headline in hindi.
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लखीसराय में कोरोना का संक्रमण कम होने के बाद कुपोषित बच्चों के लिए पोषण एवं पुनर्वास केंद्र शुरू

  • कुपोषित बच्चों के लिए संजीवनी, सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती हैं 7 बच्चे
  • यहां कुपोषित बच्चों के खानपान व देखभाल की हैं विशेष सुविधाएं

लखीसराय, 13 जुलाई-

जिले भर के बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार काफी गंभीर है। राज्य सरकार ने कुपोषण से निबटने के लिए प्रत्येक जिला में पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की है। जिला में कोरोना वायरस का संक्रमण कम होने के बाद एक बार फिर से पोषण एवं पुनर्वास केंद्र ( एनआरसी) चालू हो गया है। यहां अभी कुल 7 बच्चे भर्ती हैं।
पोषण की कमी से निपटने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना
जिला स्वास्थ्य समिति लखीसराय के जिला कार्यक्रम समन्वयक और पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) के नोडल अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला में भी बच्चों में पोषण की कमी से निपटने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई है। जिला में कोरोना वायरस का संक्रमण कम हो जाने के बाद एक बार फिर से एनआरसी शुरू हो गया है, जहां अभी कुल 7 बच्चे भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि कुपोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों को 14 दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है।

एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार जिले के बच्चों में नाटापन के प्रतिशत में हुआ सुधार :
उन्होंने बताया कि एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार जिला में बच्चों के नाटापन के प्रतिशत में काफी सुधार हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे
(एनएफएचएस) 4 (2015- 16) के आंकड़ों के अनुसार जिला में 50.6 प्रतिशत बच्चे नाटापन के शिकार थे जो अब एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार घटकर मात्र 42.7 प्रतिशत रह गया है।

पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों का रखा जाता है विशेष ख्याल :
पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार हीं उनका खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है। यहां रखे गए बच्चे यदि 14 दिनों के अंदर कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाते हैं तो वैसे बच्चों को एक माह तक विशेष रूप से देखभाल की जाती है।

पुनर्वास केंद्र में भर्ती हुए बच्चे के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही किए जाते हैं डिस्चार्ज :
पोषण पुर्नवास केंद्र में मिलने वाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क होती हैं । यहां भर्ती हुए बच्चों के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही उसे यहां से डिस्चार्ज किया जाता है।
पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती होने के लिए तय किए गए है ये मानक :
कुपोषण के शिकार बच्चे को एनआरसी में भर्ती करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत बच्चों की विशेष जांच जैसे उनका वजन व बांह आदि का माप किया जाता है। इसके साथ हीं छह माह से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बायीं भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन न बढ़ता हो वो कुपोषित माने जाते हैं । वैसे बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। इसके साथ ही दोनों पैरों में पिटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है।लखीसराय में कोरोना का संक्रमण कम होने के बाद कुपोषित बच्चों के लिए पोषण एवं पुनर्वास केंद्र शुरू

  • कुपोषित बच्चों के लिए संजीवनी, सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती हैं 7 बच्चे
  • यहां कुपोषित बच्चों के खानपान व देखभाल की हैं विशेष सुविधाएं

लखीसराय, 13 जुलाई| जिले भर के बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार काफी गंभीर है। राज्य सरकार ने कुपोषण से निबटने के लिए प्रत्येक जिला में पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की है। जिला में कोरोना वायरस का संक्रमण कम होने के बाद एक बार फिर से पोषण एवं पुनर्वास केंद्र ( एनआरसी) चालू हो गया है। यहां अभी कुल 7 बच्चे भर्ती हैं।
पोषण की कमी से निपटने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना
जिला स्वास्थ्य समिति लखीसराय के जिला कार्यक्रम समन्वयक और पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) के नोडल अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला में भी बच्चों में पोषण की कमी से निपटने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई है। जिला में कोरोना वायरस का संक्रमण कम हो जाने के बाद एक बार फिर से एनआरसी शुरू हो गया है, जहां अभी कुल 7 बच्चे भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि कुपोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों को 14 दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है।

एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार जिले के बच्चों में नाटापन के प्रतिशत में हुआ सुधार :
उन्होंने बताया कि एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार जिला में बच्चों के नाटापन के प्रतिशत में काफी सुधार हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे
(एनएफएचएस) 4 (2015- 16) के आंकड़ों के अनुसार जिला में 50.6 प्रतिशत बच्चे नाटापन के शिकार थे जो अब एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार घटकर मात्र 42.7 प्रतिशत रह गया है।

पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों का रखा जाता है विशेष ख्याल :
पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार हीं उनका खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है। यहां रखे गए बच्चे यदि 14 दिनों के अंदर कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाते हैं तो वैसे बच्चों को एक माह तक विशेष रूप से देखभाल की जाती है।

पुनर्वास केंद्र में भर्ती हुए बच्चे के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही किए जाते हैं डिस्चार्ज :
पोषण पुर्नवास केंद्र में मिलने वाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क होती हैं । यहां भर्ती हुए बच्चों के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही उसे यहां से डिस्चार्ज किया जाता है।
पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती होने के लिए तय किए गए है ये मानक :
कुपोषण के शिकार बच्चे को एनआरसी में भर्ती करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत बच्चों की विशेष जांच जैसे उनका वजन व बांह आदि का माप किया जाता है। इसके साथ हीं छह माह से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बायीं भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन न बढ़ता हो वो कुपोषित माने जाते हैं । वैसे बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। इसके साथ ही दोनों पैरों में पिटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है।

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