सदर अस्पताल में अलग-अलग ओपीडी में मरीजों का इलाज शुरू
-गायनी, शिशु रोग, दंत रोग, मेडिसीन, सर्जरी, हड्डी और नेत्र रोग के लिए बना है अलग-अलग कक्ष
-सभी कक्ष के बाहर डिस्प्ले बोर्ड लगाया गया, अलग-अलग ओपोडी रहने से मरीजों को भी मिलेगी राहत
भागलपुर, 29 नवंबर।
सदर अस्पताल में सोमवार से अलग-अलग ओपीडी में मरीजों का इलाज शुरू हो गया। नई व्यवस्था के तहत गायनी, शिशु रोग, दंत रोग, मेडिसिन, सर्जरी, हड्डी और नेत्र रोग के मरीजों का अब अलग-अलग कक्ष में इलाज शुरू हो गया। सदर अस्पताल के चार नंबर कक्ष में सर्जरी, छह नंबर में हड्डी रोग, कक्ष संख्या नौ में मेडिसीन और ओपीडी के नेत्र विभाग में बने ओपीडी में नेत्र रोगियों का इलाज शुरू हो गया। वहीं कक्ष संख्या सात में स्त्री एवं प्रसव और कक्ष संख्या दो में दंत रोग के मरीजों का इलाज होना शुरू हुआ। सभी ओपीडी कक्ष के बाहर डिस्प्ले बोर्ड लगा दिया गया है।
सिविल सर्जन डॉ. उमेश कुमार शर्मा ने बताया कि सोमवार से सभी ओपीडी को चालू कर दिया गया है। साथ ही ओपीडी रोस्टर ड्यूटी को तैयार कर सभी डॉक्टरों को दे दी गई है। अब यहां पर बदली हुई व्यवस्था के तहत मरीजों का इलाज होगा। सभी डॉक्टरों को ड्यूटी पर तैनात रहने के सख्त निर्देश दिया गया है। डॉक्टर के ड्यूटी पर नहीं रहने और मरीजों के इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसे लेकर सभी लोगों को सख्त निर्देश दिया गया है।
ओपीडी कक्ष में लगाया गया बेडः सदर अस्पताल में शुरू हुए सभी नए-नए ओपीडी में मरीजों के लिए बेड भी लगाया गया है, ताकि डॉक्टर आसानी से मरीजों की जांच कर सके। जांच के बाद मरीजों में बीमारी की पहचान होने के बाद उसका आसानी से इलाज हो सके। बेड रहने से मरीजों की जांच करने में डॉक्टर को ज्यादा आसानी होगी। बेड नहीं रहने पर मरीजों की ठीक से जांच नहीं हो पाती है, लेकिन अब बेड लग जाने से डॉक्टरों को भी आसानी होगी। साथ ही मरीजों का भी बेहतर तरीके से इलाज हो सकेगा।
मरीजों को भीड़ से मिलेगी राहतः सदर अस्पताल में अलग-अलग ओपीडी में मरीजों का इलाज शुरू होने से लोगों को काफी राहत मिलेगी। अब एक जगह भीड़ ज्यादा नहीं लगेगी। इससे मरीजों में संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा। भीड़ नहीं रहने से डॉक्टर भी इत्मीनान से मरीजों को देख सकेंगे। अधिक भीड़ रहने पर जल्दी-जल्दी में डॉक्टर देखते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। साथ ही मरीजों को भी चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। मरीज जिस बीमारी से ग्रसित है, उसी ओपीडी में जाकर अपना इलाज करा सकेंगे।