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गर्भवती महिलाओं के संस्थागत प्रसव से पूर्व कोरोना जांच की अनिवार्यता ख़त्म, अब मिल सकेंगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं

  • कोरोना और आईसीएमआर के गाइडलाइन का करना होगा शत-प्रतिशत अनुपालन
  • कोविड रिपोर्ट के इंतजार में इलाज में होती थी अनावश्यक देरी
    -डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को गर्भवती महिलाओं के उपचार से इनकार नहीं करने की सलाह
  • इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने सभी सिविल सर्जन को जारी किया पत्र

मुंगेर, 18 मई-

जिले में कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयासरत है। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग ने एक अहम निर्णय लिया है कि जिले भर में गर्भवती महिलाओं का बिना किसी प्रकार की देरी के तुरंत इलाज शुरू किया जायेगा। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निदेश दिया है।
गर्भवती महिलाओं को बिना देरी किए सेवाएं प्रदान किए जाने का निर्देश –

जिले के सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र आलोक ने बताया, राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक के द्वारा जारी पत्र के अनुसार कोविड-19 महामारी के संक्रमण की रोकथाम के लिए सुरक्षा एवं सावधानी का पालन करना बहुत ही आवश्यक है। भारत सरकार के द्वारा पूर्व में जारी पत्र के अनुसार गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व, प्रसव के दौरान एवं प्रसव पश्चात् बेहतर सेवा प्रदान करना सुनिश्चित किया जाना है। इसके लिए जिले भर के सभी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विशेष कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया पत्र में यह कहा गया है कि गर्भवती महिला को कोविड-19 की निगेटिव जांच रिपोर्ट दिखाने की माँग सेवा प्रारंभ करने से पहले की जाती है जो अनावश्यक देरी का कारण बनती है। पत्र में चिकित्सकों को निर्देश दिया गया है कि गर्भवती महिलाओं को बिना देरी किए सेवाएं प्रदान की जाए।

किसी भी स्थिति में सेवा देने से नहीं करें इंकार:
उन्होंने बताया, जारी पत्र में यह उम्मीद किया गया है कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों (निजी एवं सरकारी) द्वारा वैक्सीन की दोनों खुराक अवश्य ले ली गई होगी । इसलिए कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ सभी सेवाएँ गर्भवती महिलाओं को प्रदान की जाए एवं किसी भी स्थिति में सेवा से इंकार नहीं किया जाए। सेवा से इंकार किये जाने को काफी गंभीरता लिया जाएगा। पत्र में कहा गया है कि 104 कॉल सेंटर के माध्यम से शिकायतों को दर्ज करने के लिए भी लाभुकों को प्रेरित किया जाए और सेवा से इंकार जैसी स्थिति से तुरंत ही निपटा जाए ताकि गर्भवती महिलाओं की सेवाओं की निरंतरता बनी रहे।

संस्थागत प्रसव को दें प्राथमिकता:
उन्होंने बताया कोरोना काल में भी सदर अस्पताल मुंगेर सहित जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षित प्रसव के लिए सुरक्षा के मद्देनजर समुचित व्यवस्था उपलब्ध हैं। इसके अलावा प्रसव के बाद महिलाओं को स्वास्थ्य एवं शिशु के बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक जानकारी भी दी जाती है। ताकि प्रसव के पश्चात भी माता एवं शिशु को किसी प्रकार की शारीरिक पीड़ा नहीं हो और होने पर तुरंत आवश्यक उपचार किया जा सके । गर्भावस्था के दौरान हर महिला के मन में सामान्य व सुरक्षित प्रसव को लेकर तरह-तरह के सवाल उठते हैं। हर महिला सामान्य और सुरक्षित प्रसव चाहती है। इस दौरान छोटी सी लापरवाही और नजरअंदाज करना बड़ी मुसीबत का सबब बन जाती है। इसलिए, सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देने की जरूरत है। सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थान यानी अस्पतालों में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध हैं और सुरक्षा के हर मानकों का भी ख्याल रखा जाता है। इससे न सिर्फ सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि मातृ-शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी। उन्होंने बताया जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों को कोविड और आईसीएमआर द्वारा जारी प्रोटोकॉल का पूरी तरीक़े से पालन करना आवश्यक है। इसके साथ ही सभी स्वास्थ्य कर्मियों को भी कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरीके से पालन करना अनिवार्य है।

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