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जन्मजात हृदय में छेद वाले बच्चों के इलाज के लिए एक अप्रैल से शुरू की जा रही बाल हृदय योजना

-इसके लिए राज्य के बाहर के चैरिटेबल ट्रस्ट और प्राइवेट हॉस्पिटल के साथ मेमोरेंडम साइन करेगी राज्य सरकार

  • एक चिट्ठी जारी कर स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को किया है सूचित

लखीसराय, 30 जनवरी | राज्य में जन्मजात हृदय में छेद वाले बच्चों के बेहतर इलाज के लिए राज्य सरकार आगामी एक अप्रैल से बाल हृदय योजना शुरू कर रही है। इसके तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों की पहचान (स्क्रीनिंग), पहचान (आइडेंटीफिकेशन) एवं उपचार (ट्रीटमेंट) के लिए राज्य सरकार के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (आईजीआईसी) और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) को चिह्नित किया गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार राज्य के बाहर के वैसे राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल और निजी अस्पतालों जो बाल हृदय रोगों कि निःशुल्क चिकित्सा सर्जरी सहित सुविधा उपलब्ध कराते हैं उनकी पहचान कर उनके साथ मेमोरेंडम साइन करेगी।
एक अप्रैल से राज्य में “बाल हृदय योजना” शुरू हो रही है –
जिले के सिविल सर्जन डॉ. आत्मानंद राय ने बताया कि इससे संबंधित एक पत्र प्राप्त हुआ है जिसके अनुसार आगामी एक अप्रैल से राज्य में “बाल हृदय योजना” शुरू हो रही है। जिसके अनुसार जन्म से हृदय में छेद वालों बच्चों के इलाज के लिए प्रशांत मेडिकल सर्विसेज एन्ड रिसर्च फॉउंडेशन जो राजकोट एवं अहमदाबाद में अवस्थित चैरिटेबल ट्रस्ट हॉस्पिटल के साथ एमओयू साइन किया जाना है। इस संस्थान के साथ मध्य प्रदेश, ओडिशा एवं राजस्थान सरकार के साथ ने एमओयू साइन किया हुआ है। यह संस्थान बाल हृदय रोगियों की कि पहचान कर निःशुल्क चिकित्सा उपलब्ध करवाती है।
उन्होंने बताया कि हृदय में छेद वाले बच्चों के इलाज कराने के लिए राज्य से बाहर जाने की कि स्थिति में राज्य सरकार के द्वारा परिवहन भत्ता के रूप में बाल हृदय रोगी के लिए 5000 रुरूपये और परिवार के सदस्य के लिए 5000 रुपये मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से उपलब्ध कराया जाएगा।
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन,-

  • एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
  • सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
  • अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
  • आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
  • छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।

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