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बच्चे को कराएं स्तनपान, बनी रहेगी मुस्कान

-छ्ह माह तक दें केवल माँ का दूध, निमोनिया-डायरिया न आएगा पास
-जन्म के पहले घंटे के भीतर का स्तनपान, बनेगा जीवन का वरदान

लखीसराय, 15 फरवरी –

बच्चे के सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए माँ का दूध (स्तनपान) बहुत ही जरूरी होता है। माँ के दूध में शिशु के आवश्यकतानुसार पानी होता है, इसलिए छ्ह माह तक के बच्चे को ऊपर से पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है। इसलिए बच्चे की मुस्कान बनाए रखने के लिए छ्ह माह तक केवल माँ का दूध पिलाना चाहिए। इसके अलावा स्तनपान, बच्चे में भावनात्मक लगाव पैदा करने के साथ ही सुरक्षा का बोध भी कराता है। आंकड़े भी बताते हैं कि छ्ह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया होने की संभावना में भी क्रमशः 11 फीसद और 15 फीसद तक कमी लायी जा सकती है। स्तनपान माँ को स्तन कैंसर से भी बचाता है।
शुरुआती स्तनपान जरूरी :
जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि माँ के दूध की महत्ता को समझते हुए स्वास्थ्य महकमे का भी पूरा ज़ोर रहता है कि लेबर रूम में कार्यरत चिकित्सा अधिकारी और स्टाफ नर्स यह सुनिश्चित कराएँ कराये कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को माँ की छाती पर रखकर स्तानपान की शुरुआत लेबर रूम के अंदर ही कराई जाये। नवजात को माँ का पहला दूध मिलने के बाद ही उसे लेबर रूम में शिफ्ट किया जाता है। इसके अलावा माँ को स्तनपान की पोजीशन, बच्चे का स्तन से जुड़ाव और माँ के दूध निकालने की विधि को समझाने में भी नर्स द्वारा पूरा सहयोग किया जाता है ताकि कोई भी बच्चा अमृत समान माँ के दूध से वंचित न रह जाये।
बच्चे को छ्ह माह तक लगातार केवल माँ का दूध दिया जाना चाहिए-
यदि बच्चे को जन्म के पहले घंटे के अंदर माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। बच्चे को छ्ह माह तक लगातार केवल माँ का दूध दिया जाना चाहिए और उसके साथ किसी अन्य पदार्थ जैसे पानी, घुट्टी, शहद, गाय अथवा भैंस का दूध नहीं देना चाहिए, क्योंकि वह बच्चे के सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए सम्पूर्ण आहार के रूप में काम करता है। बच्चे को हर डेढ़ से दो घंटे में भूख लगती है। इसलिए बच्चे को जितना अधिक बार संभव हो सके माँ का दूध पिलाते रहना चाहिए। माँ का शुरुआती दूध थोड़ा कम होता है लेकिन वह बच्चे के लिए पूर्ण होता है। अधिकतर महिलाएं यह सोचती हैं कि उनका दूध बच्चे के लिए पूरा नहीं पड़ रहा है और वह बाहरी दूध देना शुरू कर देती हैं जो कि एक भ्रांति के सिवाय और कुछ नहीं है। माँ के दूध में भरपूर पानी और पोषक तत्व होते हैं इसलिए बच्चे को बाहर का कुछ भी नहीं देना चाहिए। बाहर की चीज खिलाने से बच्चे में संक्रमण की का संभावना खतरा बनी ना रहती ता है।

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