Deprecated: Function WP_Dependencies->add_data() was called with an argument that is deprecated since version 6.9.0! IE conditional comments are ignored by all supported browsers. in /home/u709339482/domains/mobilenews24.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6131
देश

कुपोषित बच्चों के लिए संजीवनी है सदर अस्पताल का पोषण पुनर्वास केंद्र

– यहां कुपोषित बच्चों के खानपान के साथ-साथ स्वास्थ्य की सम्पूर्ण देखभाल की है विशेष सुविधा
– एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार जिला में नाटापन के शिकार बच्चों की कुल संख्या में आई है 11 प्रतिशत की कमी
मुंगेर, 25 मई। बच्चों को कुपोषण जैसी समस्या से मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन काफी गंभीर है। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कुपोषण की इस समस्या से निबटने के लिए प्रत्येक जिला के सदर अस्पताल परिसर में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) की स्थापना की है।
मुंगेर सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला में भी बच्चों में पोषण की कमी से निपटने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि कुपोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों और उसकी मां या अन्य परिजन को 14 से 28 दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है। इन दिनों पोषण पुनर्वास केंद्र में स्थित सभी बेड पूरी तरह से भरे हुए हैं। यहां फीडिंग डिमोस्ट्रेटर रचना भारती और सतीश कुमार के नेतृत्व में कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग की जाती है। इस दौरान बच्चे और उनके परिजन के खाने और पीने के लिए नियमित रूप से पोष्टिक भोजन और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। 14 दिनों तक कुपोषित बच्चे के स्वास्थ्य की नियमित जांच के बाद यदि उसके स्वास्थ्य में मानक के अनुसार सुधार होता है तो उसे डिस्चार्ज किया जाता है। अन्यथा पुनः उसे अगले 14 दिन के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में ही रखा जाता है। यहां से डिस्चार्ज होने के बाद भी स्थानीय आशा कार्यकर्ता या आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के द्वारा उनके स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग की जाती है।
एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार जिला में बच्चों में नाटापन के प्रतिशत में हुआ 11 प्रतिशत का सुधार :
उन्होने बताया कि एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार जिला में बच्चों के नाटापन के प्रतिशत में 11 प्रतिशत का सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि
एनएफएचएस 4 (2015- 16) के आंकड़ों के अनुसार जिला में 46.6 प्रतिशत बच्चे नाटापन के शिकार थे जो अब एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार घटकर मात्र 35.5 प्रतिशत रह गए हैं।
पुनर्वास केंद्र में बच्चों का रखा जाता है विशेष ख्याल :
पुनर्वास पुनर्वास केंद्र में कार्यरत सतीश कुमार ने बताया कि यहां भर्ती कुपोषित बच्चों को डाक्टर की सलाह के अनुसार हीं उनके खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है। यहां रखे गए बच्चे यदि 14 दिनों के अंदर कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाते  तो वैसे बच्चों को एक माह तक विशेष रूप से देखभाल की जाती है।
पुनर्वास केंद्र में भर्ती हुए बच्चे के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही किए जाते हैं डिस्चार्ज :
उन्होंने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में मिलने वाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क होती हैं। यहां भर्ती हुए बच्चों के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही उसे यहां से डिस्चार्ज किया जाता है।
पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती होने के लिए तय किए गए हैं ये मानक :
उन्होंने बताया कि कुपोषण के शिकार बच्चे को एनआरसी में भर्ती करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत बच्चों की विशेष जांच जैसे उनका वजन व बांह आदि की माप की जाती है। इसके साथ हीं छह माह से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बाईं भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन न बढ़ता हो वो कुपोषित माने जाते हैं। वैसे बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। इसके साथ ही दोनों पैरों में पिटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *