टीबी मरीजों और उसकी देखभाल करने वालों की समस्याओं का हुआ समाधान
-नवगछिया पीएचसी में टीबी केयर और सपोर्ट ग्रुप की हुई बैठक
-बैठक में टीबी मरीजों को इससे उबरने के बताए गए तौर-तरीके
भागलपुर, 11 फरवरी
नवगछिया पीएचसी में शुक्रवार को टीबी विभाग के केयर और सपोर्ट ग्रुप की बैठक हुई। बैठक का आयोजन केएचपीटी के सहयोग से किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. भारती सिन्हा ने की। इसमें 9 मरीज, 6 देखभाल करने वाले और 1 टीबी चैंपियन ने भाग लिया। इसमें टीबी रोगियों और देखभाल करने वालों की परेशानियों को दूर किया गया। उन्हें कैसे इस बीमारी से उबरना है, इसके बारे में बताया गया। समाज में टीबी रोगियों के प्रति जो भ्रांतियां हैं, उससे कैसे निपटा जाए इसके बारे में बताया गया। मौके पर प्रतीक जोयस, संदीप कुमार, जमशेद, सुजीत, व सुमित आदि उपस्थित थे।
डॉ. भारती सिन्हा ने बताया कि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लोगों को जागरूक कर ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। डॉ. सिन्हा ने बताया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः डॉ. सिन्हा ने बताया कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसीलिए टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।