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7135 learners were awarded degrees on the convocation ceremony (KIIT)
राज्य

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डस्ट्रियल टेक्नोलोजी (के.आई.आई.टी.) के प्रतीयमान (वर्चुअल) दीक्षान्त समारोह के अवसर पर 7135 शिक्षार्थियों को डिग्री से सम्मानित किया गया

हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी दिनाँक 21 नवंबर 2020 को भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (के.आई.आई.टी.) डीम्ड विश्वविद्यालय ने 16वाँ वार्षिक दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन किया। इस समारोह में कुल 7135 छात्र एवं छात्राओं को वर्ष 2019-20 का स्नातक डिग्री प्रदान किया गया। वर्ष 2019-20 का यह समारोह वर्चुअल तरीके से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस भव्य आयोजन में कई गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया, जैसे मुख्य अतिथि के रूप में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता एवं ग्रामीण बैंक के संस्थापक प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस, जो बांग्लादेश के निवासी हैं, साथ ही आर्ट ऑफ लिविंग के आध्यात्मिक लीडर एवं संस्थापक, परम पावन गुरुदेव श्री श्री रविशंकर आमंत्रित थे।

इस समारोह में के.आई.आई.टी. विश्वविद्यालय ने परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर और इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड के अध्यक्ष और एम.डी., श्री एस. के. चौधरी को डी. लिट. के ऑनोरिस कोसा उपाधि (डिग्री) से सम्मानित किया एवं भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक, डॉ. मृत्युंजय महापात्रा को डी.एस.सी. के ऑनोरिस कोसा डिग्री प्रदान किया गया।

इस दीक्षान्त समारोह के संभाषण में मुख्य अतिथि मुहम्मद यूनुस ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप अपने जीवन के एक नए चरण में प्रवेश कर रहे हैं। शिक्षा एक अन्तहीन, लम्बी और कष्टकारक यात्रा है परन्तु आप सभी को यह सिखाती है कि पूरे विश्व को बदलने में आप कैसे सक्षम हो सकते हैं।

प्रो. यूनुस, जिन्हें माइक्रोक्रेडिट की सामाजिक नई खोज के क्षेत्र में वर्ष 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था, का परिचय कराते हुए के.आई.आई.टी. एवं के.आई.एस.एस. के संस्थापक, प्रो. अच्युत सामंत ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उन्होंने ‘‘तीन जीरो की दुनिया” की कल्पना की है और लगातार उस पर काम भी कर रहे हैं, अर्थात पहला जीरो गरीबी (कोई गरीब न रहे), दूसरा जीरो बेरोजगारी (कोई बेरोजगार न रहे) एवं तीसरा जीरो शुद्ध कार्बन उत्सर्जन (स्वच्छ पर्यावरण)। उन्होंने के.आई.आई.टी. डीम्ड विश्वविद्यालय से ऑनर्स कोसा की डिग्री स्वीकार करने के लिए परम पावन गुरुदेव श्री श्री रविशंकर, डॉ. मृत्युंजय महापात्रा और श्री एस. के. चौधरी का आभार व्यक्त किया।

नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. यूनुस ने कहा कि पूरे विश्व में इस महामारी ने लाखों लोगों के जीवन और आजीविका को नुकसान पहुँचाया है। संसार के 50 प्रतिशत लोगों को जीवन यापन करने के लिए संघर्ष करने के साथ-साथ इसने हमारे तंत्र की कमजोरियों को भी प्रकट किया है। विश्व को फिर से एक नया स्वरूप प्रदान करने का यह सुअवसर है, जो अधिक न्यायसंगत, अधिक समान और अधिक लचीला होगा। हमारी वर्तमान प्रणाली धन के धुव्रीकरण से ग्रस्त है क्योकि पूरे विश्व में 99 प्रतिशत धन मात्र एक प्रतिशत लोगों के पास में है जो काफी धनाढ्य लोग हैं, साथ ही उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग के ऊपर भी लोगों को सचेत किया, जो निकट भविष्य में हमारे अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है, साथ ही उन्होंने स्नातकों को सम्बोधित करते हुए एवं उद्यमिता का विकल्प तलाशने का आग्रह करते हुए कहा कि अपनी कल्पना एवं सीखने की बदौलत आप दुनिया को एक नया रूप, नई संरचना प्रदान कर सकते हैं

अपने संबोधन में, मुख्य वक्ता परम पावन गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने कहा, शिक्षा का उद्देश्य एक मजबूत व्यक्तित्व का निर्माण करना है, जो नई चुनौतियों को अवसरों, व्यापकता और विनम्रता को हमेशा के लिए सीखने में परिवर्तित करने के लिए समर्थवान है। उन्होंने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आंतरिक शक्ति, दृढ़ता, धैर्य और रचनात्मकता के महत्व को रेखांकित किया। आध्यात्मिकता और विश्व शांति के क्षेत्र में उनके महान योगदान के लिए उन्हें हॉनोरिस कॉसा डी. लिट. के सम्मान से सम्मानित किया गया था। पुरस्कार में उल्लेख किया गया है, ‘दुनिया आपके कुछ मानवीय क्षेत्रों जैसे कोलंबिया, कोसोवो, इराक, सीरिया और ब्वजम कष्प्अवपतम के लिए संघर्ष को समाप्त करने हेतु आपकी मानवीय पहल के लिए ऋणी है।

के.आई.आई.टी. ने डॉ. मृत्युंजय महापात्रा को विज्ञान के साथ-साथ जीवन को बचाने हेतु चक्रवात की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के क्षेत्र में शानदार योगदान के लिए डी.एस.सी. के ऑनोरिस कोसा डिग्री से सम्मानित किया। डॉ. महापात्रा ने इस तरह के प्राकृतिक आपदाओं से अब तक 10,000 से अधिक लोगों को बचा चुके हैं, इसलिए कि उनकी सटीक भविष्यवाणियाँ अक्षरशः सही साबित होती है, अतएव ये लोगों में ‘साइक्लोन मैन ऑफ इंडिया’ के रूप में विख्यात हैं। उनकी भविष्यवाणियाँ कई दैविक चक्रवातों में सही साबित हुई हैं, जैसेकि 2013 में फाहलीन, 2014 में हुडहुड, 2018 में तितली, 2019 में फानी एवं 2020 में अम्फान, जिससे कई नागरिकों के जान-माल की सुरक्षा की जा सकी है। डॉ. महापात्र ने अपने स्वीकृति भाषण में कहा कि यह पुरस्कार समाज में विज्ञान के योगदान के लिए एक मान्यता है जो छात्रों तथा विज्ञान के पेशेवरों (प्रेक्टिशनर्स) को प्रोत्साहित करेगा।

अपने स्वीकृति भाषण में श्री एस.के. चौधरी ने कहा, ‘‘के.आई.आई.टी. और इसकी सहयोगी संस्था के.आई.एस.एस ने गत दो दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में आश्चर्यजनक रूप से अतिबृहत योगदान दिया है। मैं समाज के लिए इस तरह से समर्पित एवं महान सेवा करने के लिए के.आई.आई.टी. और के.आई.एस.एस के संस्थापक को बधाई देता हूं।“ श्री एस.के. चौधरी के उत्कृष्ट नेतृत्व और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में महान योगदान के लिए उन्हें डी. लिट. के ऑनोरिस कोसा उपाधि से सम्मानित किया गया था। उनके नेतृत्व में इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड ने बड़ी छलांग लगाई है और महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय पदचिह्नों के साथ एक अग्रणी इंजीनियरिंग और निर्माण संगठन बन गया है।

के.आई.आई.टी. विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. वेद प्रकाश, प्रो-कुलपति, पद्म श्री प्रो (डॉ) सुब्रत कुमार आचार्य, उप-कुलपति, डॉ. हृर्षिकेश मोहंती, उप-प्रा-कुलपति, प्रो. सस्मिता सामंत एवं रजिस्ट्रार, श्री ज्ञानरंजन मोहंती ने भी दीक्षांत समारोह में स्नातक छात्रों को संभाषण द्वारा सम्बोधित किया और अपनी शुभकामनाएँ व्यक्त कीं।

अपने शानदार शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए प्रखर प्रियेश (बी.टेक), सृष्टि राज (एम.टेक) और रोशन ओझा (बी.टेक) ने संस्थापक (फाउंडर) के स्वर्ण पदक जीते। इसी तरह से 23 छात्रों को कुलपति (चांसलर) के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया, जबकि 28 छात्रों को कुलपति (चांसलर) का रजत पदक मिला। पी.के. बाल मेमोरियल गोल्ड मेडल, पी.पी.एल. गोल्ड मेडल, नानीबाला मेमोरियल गोल्ड मेडल और श्री कृष्ण चन्द्र पांडा मेमोरियल गोल्ड मेडल भी इस अवसर पर प्रदान किये गये। 95 शोधकर्ताओं को पी.एच.डी. डिग्री से सम्मानित किया गया।

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