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ना दो वक्त की रोटी मिल रही है ना मिल रहा कर्जा' पाकिस्तान में रोटी रोटी को तरसते मासूम Mobile news 24 - Mobile News 24 ✓ Hindi men Aaj ka mukhya samachar, taza khabren, news Headline in hindi.
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ना दो वक्त की रोटी मिल रही है ना मिल रहा कर्जा’ पाकिस्तान में रोटी रोटी को तरसते मासूम Mobile news 24

भारत को आंख दिखाने की कोशिश करने वाले पाकिस्तान की हवा निकल गई है। पड़ोसी मुल्क का हाल पूरी तरह बेहाल है और तो और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के लोग भारत में शामिल होने की बात कर रहे हैं। पाकिस्तान के सामने नकदी, खाद्य समेत कई तरह से संकट हैं और ऐसे में पाकिस्तान को यह जरूर महसूस हो रहा है कि अगर भारत के साथ उसके रिश्ते बेहतर होते तो आज उसकी ये दुर्गति नहीं होती। पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम शहबाज शरीफ भी भीगी बिल्ली बने हुए फिर रहे हैं और उन्होंने हाल ही में कहा कि वो अपने पड़ोसी मुल्क के साथ शांति चाहते हैं क्योंकि पाकिस्तान ने भारत के साथ तीन युद्ध लड़े थे और तीनों में उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी और वो अतीत से सबक लेते हुए भारत के साथ रिश्ते बेहतर करना चाहते हैं।

 

क्यों बदले पाकिस्तान के PM का सुर

मौजूदा हालातों से फौरी राहत पाने के लिए पाकिस्तान कर्ज तले दबने के लिए लाचार है लेकिन समस्या यह है कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाक सरकार को कोई कर्ज नहीं देना चाहता है। इसके बावजूद शहबाज शरीफ बार-बार हाथ पसार रहे हैं। जिसको देखते हुए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने पाकिस्तान की मदद करने का वादा किया। आपको याद हो तो दुनिया को कर्जा देने वाली सबसे बड़ी संस्था अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के ऋण कार्यक्रम को रोक दिया था। जिसके बाद शहबाज शरीफ का कहना था कि अर्थव्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को सुधारने के लिए उनके पास आईएमएफ कार्यक्रम को लागू करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

 

शहबाज शरीफ ने भारत के साथ रिश्तों को बेहतर करने की इच्छा जाहिर की

दुबई स्थित अल अरबिया टीवी को दिए एक इंटरव्यू में शहबाज शरीफ ने भारत के साथ रिश्तों को बेहतर करने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के साथ तीन युद्धों के बाद सबक सीख लिया है। पाकिस्तान अब अपने पड़ोसी के साथ शांति चाहता है। ऐसे में उन्होंने पड़ोसी मुल्क भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की भी अपील की। शहबाज शरीफ ने भारतीय नेतृत्व और प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि आइए एक टेबल पर बैठकर कश्मीर जैसे मुद्दों को हल करने के लिए गंभीर और ईमानदार बातचीत करें। उन्होंने कहा कि हमारे ऊपर है कि हम शांति से रहें और विकास करें या फिर एक-दूसरे के साथ झगड़ा करें और समय के साथ-साथ संसाधनों को भी नष्ट कर दें।

रिश्ते सुधारना दिखावा या मजबूरी

भारत के साथ रिश्ते सुधारना पाकिस्तान की न सिर्फ मजबूरी बल्कि असल जरूरत भी है क्योंकि पाकिस्तान की जितनी मदद भारत कर सकता है शायद ही दूसरा और कोई देश करें और पाकिस्तान ने श्रीलंका संकट के दौरान ये देखा भी है। पाकिस्तान के फेडरल रिजर्व ब्यूरो ने शुक्रवार को बताया था कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है और वो कम होकर 4.4 अरब डॉलर हो गया है। जिससे तीन सप्ताह का भी इम्पोर्ट्स नहीं किया जा सकता है। दूसरी तरफ आईएमएफ ने भी साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान उनकी शर्तें नहीं मानेगा तब तक 1.6 अरब डॉलर की अगली किश्त जारी नहीं की जाएगी। दरअसल, आईएमएफ 6 किश्तों के माध्यम से पाकिस्तान को 9 अरब डॉलर रुपये का कर्जा देने वाला था लेकिन अभी तक 3 अरब डॉलर की दो किश्तें ही जारी की गई हैं।

 

भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान को हमेसा दूसरे देशो पर निर्भर होना पड़ा

भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान की मदद के लिए सऊदी अरब और यूएई ने हमेशा हाथ बढ़ाया है लेकिन इन दोनों मुल्कों को भी यह अहसास हो गया है कि दीवालिया होने की कगार पर खड़ा पाकिस्तान उनका कर्जा चुकाने में असमर्थ है। ऐसे में दोनों मुल्क पाकिस्तान की मदद से कतरा रहे हैं लेकिन बाढ़ की वजह से पनपे हालातों को देखते हुए सऊदी अरब और यूएई क्रमश: 3 और 1 अरब डॉलर की मदद करने के लिए तैयार हो गए हैं।

 

दाने-दाने के लिए तरसते हुए पाकिस्तान के लोग

जैसा की आप लोग देखे होंगे सोशल मीडिया में दाने-दाने के लिए तरसते हुए पाकिस्तान लोगों की कई सारी वीडियो जमकर वायरल हो रही है। इन वीडियो में देखा जा सकता है कि सब्सिडी वाले आटे के लिए लोगों में लड़ाई मच गई है और दंगे जैसे हालात उत्पन्न होने लगे। हालात ऐसे हैं कि जहां सब्सिडी वाले गेहूं की सरकारी आपूर्ति लगभग पूरी तरह से बंद हो गई है और दूसरी ओर अन्य आवश्यक वस्तुओं के दाम भी आसमान छू रहे हैं। पाकिस्तान रूस और यूक्रेन से गेहूं और चावल को इम्पोर्ट करता है लेकिन इन दोनों देशों के बीच में फरवरी 2022 से युद्ध छिड़ा हुआ है। ऐसे में पाकिस्तान ने दूसरे विकल्प तलाशे, जो की काफी ज्यादा महंगे साबित हुए। भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न होने के पीछे का एक बड़ा कारण बाढ़ भी है क्योंकि बाढ़ की वजह से करीब 40 फीसदी फसल नष्ट हो गई।

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