सीएम नीतीश करेंगे चिराग से पुराना हिसाब
एनडीए में शामिल होने की अटकलों के बीच चिराग पासवान पहुंचे दिल्ली आज रामविलास के ‘चिराग’ की नड्डा-शाह से मुलाकात :
एनडीए में शामिल होने की अटकलों के बीच चिराग पासवान दिल्ली पहुंच चुके हैं। सोमवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री से अमित शाह से मुलाकात कर लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष गठबंधन को लेकर अपनी शर्ते रखेंगे।
इस बीच सियासी गलियारों में अटकलें तेज हैं कि केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) महागठबंधन का रुख कर सकते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण हाजीपुर लोकसभा सीट पर चाचा-भतीजे के बीच दावेदारी को लेकर जारी घमासान को बताया जा रहा है।
रविवार को चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने एलान कर दिया कि 2024 में वे अपने पिता की पारंपरिक सीट हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, जबकि इसी सीट से उनके चाचा और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष पशुपति पारस वर्तमान में सांसद हैं।
सूत्रों की मानें तो अगर दिल्ली में आज चिराग पासवान की सभी शर्तें भाजपा मान लेती हैं, जिसमें छह लोकसभा सीट, एक राज्यसभा सीट और केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह शामिल है, तो पशुपति पारस बिहार में जेपी नड्डा और अमित शाह का हिसाब-किताब बिगाड़ सकते हैं।
सीएम नीतीश करेंगे चिराग से पुराना हिसाब
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भी इसी मौके के इंतजार में है। चिराग पासवान से नीतीश कुमार का पुराना हिसाब-किताब अभी बाकी है। 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के कारण जदयू को काफी नुकसान हुआ था। जदयू सीटों के मामले में भाजपा से पिछड़ गई थी। ऐसे में अगर भाजपा पशुपति पारस को भतीजे चिराग के लिए हाजीपुर सीट छोड़ने को कहेगी, तो पारस को महागठबंधन की तरफ से हाजीपुर का सीट ऑफर देकर नीतीश कुमार बड़ा खेल कर सकते हैं।
समझौते के मूड में नहीं पशुपति पारस
पशुपति की पार्टी रालोजपा का साफ कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में दिवंगत रामविलास पासवान ने खुद अपने भाई पशुपति पारस को हाजीपुर से चुनाव लड़ाकर वहां की जनता का प्रतिनिधित्व करने का उत्तराधिकार उन्हें सौंप दिया था। इससे साफ है कि पशुपति पारस हाजीपुर सीट को लेकर एनडीए से कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं होंगे।
भाजपा कर रही चाचा-भतीजे को मिलाने की कोशिश
इधर, भाजपा 2019 की तरह 2024 में भी लोजपा को छह सीटें ही देना चाहती है। इसमें हाजीपुर सीट भी शामिल है। हालांकि, तब और अब के हालात में जमीन-आसमान का फर्क है। पहले लोजपा एक पार्टी थी। अब यह चिराग और पशुपति के बीच दो गुटों में बंट गई है। भाजपा चाहती है कि पशुपति पारस और चिराग पासवान आपस में समझौता कर लें।
हालांकि, दोनों गुटों की तरफ से हाल में की गई बयानबाजी से ऐसा होने की संभावना बहुत कम ही दिख रही है। ऐसे में बिहार की सियासत में एक बार फिर बड़ी हलचल की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।