Data Protection Bill: ड्राफ्ट बिल में हुआ संशोधन, कानून तोड़ने पर 500 करोड़ रुपये का जुर्माना |
भारत सरकार ने शुक्रवार को एक नया डाटा गोपनीयता कानून (Data Protection Bill) प्रस्तावित किया है जो कि टेक और सोशल मीडिया कंपनियों को यूजर्स के निजी डाटा को देश के बाहर भेजने की इजाजत देगा।
2019 में ड्राफ्ट पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में 15 करोड़ रुपये या किसी इकाई के वैश्विक कारोबार का 4 प्रतिशत जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। मसौदे में भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड स्थापित करने का प्रस्ताव है, जो बिल के प्रावधानों के अनुसार कार्य करेगा।
500 करोड़ से अधिक नहीं होगा जुर्माना
मसौदे में कहा गया है, ‘यदि बोर्ड जांच के निष्कर्ष पर यह निर्धारित करता है कि किसी व्यक्ति द्वारा गैर-अनुपालन महत्वपूर्ण है, तो वह व्यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद, अनुसूची 1 में निर्दिष्ट ऐसा वित्तीय दंड लगा सकता है, जो प्रत्येक मामले में पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा।’
ग्रेडेड पेनल्टी सिस्टम का प्रस्ताव
मसौदे में डेटा फिड्यूशरी के लिए एक ग्रेडेड पेनल्टी सिस्टम का प्रस्ताव किया गया है जो केवल अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार डेटा मालिकों के व्यक्तिगत डेटा को प्रोसेस करेगा। दंड का एक ही सेट डेटा प्रोसेसर पर लागू होगा – जो एक ऐसी इकाई होगी जो डेटा फिड्यूशरी की ओर से डेटा संसाधित करेगी।
केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इस संबंध में ट्वीट किया और एक लिंक भी शेयर किया है जिसपर क्लिक करके आप बिल के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। इससे पहले वैष्णव ने कहा था कि विधेयक वापस लिया गया, क्योंकि संयुक्त संसदीय समिति ने 99 धाराओं के विधेयक में 81 संशोधनों की सिफारिश की थी।
वर्तमान में देश में 76 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट पर एक्टिव हैं जिसे आने वाले वर्षों में 120 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कनेक्टेड लोकतंत्र है। नए बिल का मकसद यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर सख्त कानून बनाना है। बिल में साफतौर पर यह भी बताया जाएगा कि किसी यूजर के डाटा का इस्तेमाल कहां-कहां और किस तरीके से होगा। नए बिल के तहत 500 करोड़ तक के जुर्माना का प्रावधान है।