हृदय रोगियों को कोरोना होने का ज्यादा खतरा
ह्रदय रोगी के लिए भी प्रतिदिन टहलना जरूरी
हर तीसरे ह्रदय रोगी को मधुमेह होने का होता है ख़तरा
बांका, 30 सितंबर:
कोरोना का खतरा तो वैसे सभी लोगों को है, लेकिन हृदय रोगियों को विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है. हृदय रोगियों को आमलोगों के मुकाबले कोरोना होने का खतरा ज्यादा है. शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि हर तीसरा हृदय रोगी शुगर का भी मरीज होता है. शुगर यानी मधुमेह की बीमारी आमतौर पर शरीर का वजन ज्यादा होने पर होता है. शरीर भारी हो जाने के बाद सक्रियता कम हो जाती है. और जब शरीर निष्क्रिय रहता है तो कोरोना होने का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए ह्रदय रोगी प्रतिदिन 45 मिनट तक तेज गति से जरूर टहला करें. इससे कोरोना से तो बचाव होगा ही, साथ ही शुगर और हृदय रोग भी नियंत्रित रहेगा.
सदर अस्पताल में की जा रही है काउंसलिंग: सदर अस्पताल के मैनेजर अमरेश कुमार ने बताया कि 29 सितंबर को हृदय दिवस था. उस दिन से 1 सप्ताह तक हृदय रोगियों की ओपीडी में काउंसलिंग की जाएगी। प्रतिदिन अस्पताल के ओपीडी में डॉक्टर हृदय रोगियों की जांच कर उन्हें उचित सलाह दे रहे हैं. कोरोना काल में उनकी जीवनशैली क्या हो, इस बारे में डॉ हृदय रोगियों को बता रहे हैं.
खान-पान में करना होगा सुधार: हाईपरटेंशन से बचाव के लिए हमें सबसे पहले खान-पान में सुधार करना होगा. शहरी पीएचसी के प्रभारी डॉ सुनील कुमार चौधरी बताते हैं कि इस तरह की बीमारियों से बचने के लिए सही खानपान होना बहुत जरूरी है. नमक और हाई पोटेशियम वाले पदार्थों का कम से कम सेवन करना चाहिए. भोजन में कम मात्रा में नमक लेने से हाईपरटेंशन की समस्या से बचा जा सकता हैं. खाने में हरी सब्जियों और सलाद का प्रयोग अधिक से अधिक करें. अधिक तेल मसाले के सेवन से बचना चाहिए. दूध और दही के ऊपर से छाली को हटाकर उसका सेवन करें.
लें भरपूर नींद: डॉ. चौधरी कहते हैं नींद पूरी नहीं होने से भी तनाव बढ़ता है. अभी जब घर में ही रहना है तो आठ घंटे सोने की कोशिश करें. हां, एक रूटिन के तहत नींद को पूरी करें. रात में जल्द सोएं और सुबह जल्द उठें. सुबह जल्द उठने से दिनभर ताजगी का अहसास होता है. कोशिश करें कुछ समय तक योग भी करें. इससे दिन खुशनुमा बीतेगा और तनाव से भी मुक्त रहेंगे.
दवा का सेवन नहीं छोड़े: हाईपरटेंशन के मरीज को नियमित दवा लेनी चाहिए. दवा छूटने से यह बीमारी खतरनाक स्टेज में पहुंच जाता है. सभी तरह की सावधानियों को बरतते हुए डॉक्टर के बताए अनुसार दवा को लेते रहें. साथ ही अगर संभव हो तो नियमित तरीके से हाईपरटेंशन की जांच भी कराते रहें.