politics

कांग्रेस आयी तो क्या फिरसे राम मंदिर की जगह बनेगी बाबरी मस्जिद ?

 

कांग्रेस की ओर से किए जा रहे वादों को खोखला बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसीलिए उनकी ओर से वोट बैक की राजनीति की जा रही है। क्योंकि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं हो सकता यह बाबा साहेब का संविधान बोलता है।

राम और राम मंदिर का मुद्दा विपक्ष का पीछा नहीं छोड़ रहा है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में विपक्षी नेताओं की गैर मौजूदगी पर तो लगातार सवाल दागे जा रहे थे। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस के ही पूर्व नेता का हवाला देते हुए कहा कांग्रेस नेता राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की मंशा रखते थे। पीएम ने इसे खतरनाक मंशा बताते हुए कहा कि उनके पिताजी ने शाहबानो केस को बदला था।

ध्यान दिलाते हुए मोदी ने ये भी कहा कि एक दिन पहले ही कांग्रेस की राष्ट्रीय मीडिया संयोजक राधिका खेड़ा ने पार्टी से इसी शिकायत के साथ इस्तीफा दिया था कि राम मंदिर जाने के कारण वरिष्ठों ने उनके साथ दु‌र्व्यवहार किया था। स्पष्ट है कि चुनाव के आने वाले चरणों में भी यह मुद्दा गरमाया रह सकता है।

उन्होंने कहा कि भाजपा अपने विकास के एजेंडे के साथ ही जनता तक जा रही है। जनता भी महसूस करती है कि पिछले दस वर्षों में बहुत सकारात्मक बदलाव आया है। जब राम मंदिर के राजनीतिक प्रभाव पर सवाल पूछा को उन्होंने स्पष्ट किया भाजपा के लिए यह राजनीतिक मुद्दा कभी नहीं रहा। आमजन का भी राम से जुड़ाव अलग स्तर पर है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस की नीयत पर भी सवाल खड़ा किया।

उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि कांग्रेस के ही एक पूर्व सलाहकार ने कहा है कि शहजादे ने राम मंदिर के फैसले को पलटने की कोशिश की थी। ध्यान रहे कि प्रमोद कृष्णम ने यह आरोप लगाया है जो पहले कांग्रेस में थे। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और भाजपा की सोच और कार्यशैली के बीत विभेद करते हुए कहा कि कांग्रेस की सोच हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहने की है।उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस काल में वित्तमंत्री पी. चिदंबरम 2014 में अपना आखिरी बजट प्रस्तुत कर रहे थे तब उन्होंने यह लक्ष्य रखा था कि हम 2043 तक भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की टॉप थ्री तक ले जाएंगे। हमने यह लक्ष्य अपने तीसरे कार्यकाल के लिए यह लक्ष्य रखा है। यानी इनके लक्ष्य से करीब 15 साल पहले। कांग्रेस और भाजपा के लक्ष्यों को देखकर आपको दोनों के लक्ष्य निर्धारण और महत्वाकांक्षा के अंतर पता चल जाएगा। अगर लक्ष्य निर्धारण ही छोटा हो तो आगे जाना असंभव है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *