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जानिए सुपरटेक ट्विन टावर तोड़ने की पूरी कहानी

नोएडा के सुरपटेक ट्विन टावर एपेक्स और सियान को आज  गिराया जा रहा है । जहा देश में पहली बार 40 मंजिला इमारत को गिराए जाने का इतिहास बना है । इस गगनचुंबी इमारत का निर्माण सभी नियमों को ताक पर रखकर किया गया था। आइए जानते हैं, इसके बनने और भ्रष्टाचार में लिप्त होने के पूरे मामले को।

जी हाँ 2004 में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए नोएडा प्राधिकरण ने जमीन का आवंटन किया था। मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई। यहां पर प्लॉट नंबर-4 में आवंटित जमीन के पास ही एक टुकड़ा पैमाइश में ज्यादा निकल आया, जिसे बिल्डर ने अपने नाम आंवटित करा लिया।

जून 2006 को लीज डीड की गई। दो अलग-अलग- प्लॉट्स को नक्शा पास होने के बाद दोनों को एक प्लॉट बना दिया गया। इसी पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च करने की घोषणा कर दी गई।

प्लान के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में बिल्डर ने 11 मंजिल को 16 टावर्स बनाने की योजना तैयार की थी। नक्शे के हिसाब से आज जिस स्थान पर 40 मंजिला ट्विन टावर खड़े हैं, वहां ग्रीन पार्क दिखाया गया था। 2008-09 में इस प्रोजेक्ट को नोएडा प्राधिकरण से कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिल गया, लेकिन फरवरी 2009 में यूपी शासन ने नए आवंटियों के लिए एफएआर बढ़ाने का निर्णय लिया।

एफएआर बढ़ने के बाद बिल्डरों को अधिक फ्लैट्स बनाने की छूट मिल गई थी। दो बार बिल्डरों ने बिल्डिंग 32 से 40 मंजिला तक बढ़ाने के लिए होम बायर्स के पास रिवाइज्ड प्लान भेजा। तीसरी बार रिवाइज्ड प्लान मिलने पर होम बायर्स का सब्र टूट गया। इस पर बिल्डर से नक्शा दिखाने को कहा गया। बायर्स के नक्शा मांगने के बावजूद बिल्डर ने नहीं दिया। बायर्स ने नोएडा अथॉरिटी से नक्शा देने की मांग की। इस पर अथॉरिटी ने कहा कि वह बिल्डर से पूछ के नक्शा दिखाएगी।

जब कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो 2012 में बायर्स इलाहाबाद हाईकोर्ट जा पहुंचा। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने जांच की और बायर्स की बात को सही पाया। अथॉरिटी ने खानापूर्ति करते हुए बिल्डर को नोटिस भेज दिया, लेकिन बायर्स को नक्शा नहीं दिया।

मामला कोर्ट में पहुंचे ही एपेक्स और सियान के निर्माण कार्य में तेजी आ गई। महज डेढ़ साल में 13 मंजिल से 32 मंजिला स्टोरीज का निर्माण पूरा कर लिया गया। 2014 में हाईकोर्ट ने बिल्डर को झटका देते हुए इन्हें गिराने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद टावर निर्माण का काम रुक गया।

हालांकि, सुपरटेक ने फैसले के खिलाफ अपील की और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सर्वोच्च न्यायालय ने 2021 में, इस तथ्य का हवाला देते हुए नोएडा ट्विन टावर्स को ध्वस्त करने का आदेश यह कहते हुए दिया कि टावरों का निर्माण अवैध रूप से किया गया था। और अंततः आज भ्र्ष्टाचार से बने इस ट्विन को जमींदोज किया जा रहा है।

जी हां यही वो ईमारत है जिसे बनाने में नॉएडा अथॉरिटी के भ्र्ष्ट ऑफिसरों ने बिल्डर को नियम कानून को तक पर रखकर अपने आँख कण बंद कर लिए।

आज यह टावर तो गिर रहा है लेकिन सवाल अभी भी यह उठता है की इस भ्र्ष्टाचार में लिप्त अधिकारीयों को कब जमीदोज किया जायेगा।

चलिए हम सीधे हमारे संवाददाता राज कुंद्रा के पास चलते हैं जो  इस ट्विन टावर के पास है और वहां की स्थिति के बारे में बता रहे है जी राज बताईये क्या चल रहा है वहां

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