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MS Dhoni के मास्टर स्ट्रोक ने पलटी थी बाजी, यूं लिखी गई थी ऐतिहासिक जीत की कहानी

 चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल और रोमांच अपने चरम पर।

आखिरी 3 ओवर में इंग्लैंड को जीत के लिए 28 रन की जरूरत। हर किसी ने दांतों तले उंगली दबा ली थी। चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब किसके पक्ष में जाएगा यह कहना बड़ा मुश्किल हो चला था। क्रीज पर इयोन मोर्गन और रवि बोपारा सेट थे। हर किसी के मन में सवाल था कि कैप्टन कूल एमएस धोनी बचे हुए तीन ओवरों में किस-किस गेंदबाज पर दांव खेलेंगे।

माही ने हर किसी को हैरान कर दिया था और पारी के 18वें ओवर के लिए गेंद ईशांत शर्मा के हाथों में सौंप दी थी। ईशांत इससे पहले काफी महंगे साबित हुए थे। हालांकि, धोनी का यह मास्टर स्ट्रोक एकदम फिट बैठा था और भारत ने इंग्लैंड को उसी की सरजमीं पर धूल चटाते हुए ऐतिहासिक जीत का स्वाद चखा था।

माही का मास्टर स्ट्रोक

धोनी ने 18वें ओवर के लिए जब गेंद ईशांत शर्मा के हाथों में थमाई, तो हर किसी को यह फैसला एकदम गलत लग रहा था। हालांकि, माही को खुद और अपने अनुभवी गेंदबाज पर फुल भरोसा था। 18वें ओवर का आगाज अच्छा नहीं हुआ था। ओवर की दूसरी ही गेंद पर मोर्गन ने ईशांत शर्मा को छक्का जड़ दिया था और अगली लगातार दो गेंद ईशांत वाइड डाल चुके थे। दबाव ईशांत पर था। ऐसे में माही विकेट के पीछे से दौड़ते हुए आए और उन्होंने मानो ईशांत को गुरुमंत्र दे डाला।

दो गेदों में 2 विकेट

दो वाइड के बाद अगली दो गेंदों पर ईशांत ने इंग्लैंड के सेट बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखा दी। ईशांत का पहला शिकार इयोन मोर्गन बने, तो अगली गेंद पर रवि बोपारा अश्विन को कैच थमा बैठे। ईशांत ने मैच पूरी तरह से पलट डाला था। भारत की जीत की उम्मीदें जग चुकी थीं। हालांकि, अभी काम अधूरा था।

अश्विन से आखिरी ओवर

ईशांत के बाद रवींद्र जडेजा ने भी 19वां ओवर कमाल का फेंका था और सिर्फ चार रन खर्च किए थे। ऐसे में आखिरी ओवर में जीत के लिए इंग्लैंड को 14 रन की दरकार थी। भुवनेश्वर कुमार का एक ओवर शेष था, तो उमेश यादव ने सिर्फ दो ओवर डाले थे। इन सबके बावजूद कप्तान धोनी ने आखिरी ओवर फेंकने के लिए रविचंद्रन अश्विन पर दांव चला।

लास्ट बॉल पर सिक्स की जरूरत

अश्विन की पहली गेंद पर कोई रन नहीं बना, लेकिन दूसरी बॉल पर स्टुअर्ट ब्रॉड ने जोरदार चौका जड़ दिया। तीसरी गेंद पर एक रन आया, तो चौथी और पांचवीं बॉल पर दो-दो रन बने। अब हर किसी की सांसें अटक चुकी थीं। आखिरी गेंद पर इंग्लैंड को चैंपियन बनने के लिए सिक्स की जरूरत थी और सामने स्पिन गेंदबाज भी था। मुश्किल समय में हीरो बनने का अश्विन के पास सुनहरा मौका था। अश्विन के हाथों से निकली लास्ट बॉल को ट्रेडवेल बल्ले से छू भी नहीं सके और इसके साथ ही इंग्लिश धरती पर जश्न चालू हो गया। भारत ने 5 रन से मैदान मारते हुए लंबे अरसे बाद चैंपियंस ट्रॉफी के खिताब को अपने नाम कर लिया था और माही की कप्तानी एक बार फिर मिसाल बनी

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