Bihar का पैडमैन ‘दिल्ली से गांव लौटकर शुरू किया सैनिटरी पैड्स का स्टार्टअप, छह को दिया रोजगार
Bihar का पैडमैन! दिल्ली से नौकरी छोड़ी, गांव लौट शुरू किया सैनिटरी पैड्स का स्टार्टअप
छपरा शहर के भरत मिलाप चौक (जेल के पास) के रहने वाले 33 वर्षीय संजीव कुमार वर्मा कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में दिल्ली से निजी कंपनी की मार्केटिंग की नौकरी छोड़ घर लौट आए थे।उन्होंने अपने शहर में ही स्वरोजगार का निश्चय किया था। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले बाजार में विभिन्न उत्पादों की मांग, आपूर्ति और मूल्य का सर्वेक्षण किया।
कम लागत में बेहतर गुणवत्ता के पैड्स
सर्वेक्षण में उन्होंने देखा कि बाजार में सैनिटरी पैड्स के मूल्य अधिक हैं, जो गांवों की महिलाओं, युवतियों व किशोरियों की पहुंच से दूर हैं। पैड्स की मांग असीमित है। ऐसे में, कम लागत में बेहतर गुणवत्ता के पैड्स बनाए जाएं तो बिक्री की समस्या नहीं होगी।
संजीव ने गत वर्ष नवंबर में घर से ही सैनिटरी पैड्स का स्टार्टअप शुरू कर दिया था। निर्माण व बिक्री के लिए छह युवकों को रोजगार दिया। कुछ ही माह में उत्पाद की बाजार में पहचान बनने लगी। वे ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पाद की ब्रांडिंग व मार्केटिंग कर रहे हैं।
कमाई के बारे संजीव ने क्या बताया?
कमाई के बारे में पूछने पर बताया कि छह लोगों को सम्मानजनक वेतन देने के बाद अच्छी तरह से कंपनी चल रही है। खुद की आजीविका का आधार भी यही है।
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से 10 लाख रुपये का लिया ऋण
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना ने संजीव के सपनों को साकार किया। स्टार्टअप की कार्ययोजना बनाकर उन्होंने उद्योग विभाग से संपर्क किया। थोड़े प्रयत्न से मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत उन्हें 10 लाख रुपये का ऋण मिल गया।
इसमें 50 प्रतिशत अनुदान भी है। इन पैसों से मशीनों की खरीद और कच्चा माल खरीदा। कुछ रकम अपने उत्पाद की ब्रांडिंग, आकर्षक पैकेजिंग व प्रोत्साहन पर भी खर्च की|
लिक्विड को जेल में बदल देते हैं पैड्स
संजीव एंड कंपनी के नाम से वे स्टे सेफ्टी नाम का सैनिटरी पैड्स बनाते हैं। बिक्री छपरा शहर व आसपास के छोटे बाजारों में कर रहे हैं। सस्ता व बेहतर होने के कारण मांग बढ़ रही है। इस कीमत में लिक्विड को जेल में बदलने वाले पैड बाजार में नहीं हैं।
संजीव व उनकी टीम के सदस्य दुकानदारों को उत्पाद की गुणवत्ता का प्रदर्शन कर बिक्री के लिए सहमत करते हैं। मोहल्ले एवं आसपास के मोहल्ले की महिलाओं ने भी उत्पाद को लेकर संतोषजनक टिप्पणी की है। लोग अब इन्हें भी पैडमैन के रूप में पहचानने लगे हैं।