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आदिवासी, बंजारों, किसानों, मजदूरों, जवानों, महिलाओं, की जुर्म के खिलाफ आवाज, भारत सरकार के आदतन अपराधी अधिनियम से हटाने के लिए जंतर-मंतर पर धरना

दिनांक 2 जुलाई, समय 10 बजे से निरंतर शाम तक, स्थान जंतर-मंतर दिल्ली भारत

आदिवासी, बंजारों, किसानों, मजदूरों, जवानों, महिलाओं, की जुर्म के खिलाफ आवाज
बीजेपी की भारत सरकार की दमनकारी निति
एक तरफ बीजेपी की भारत सरकार आदिवासी महिला को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाती है।
दुसरी तरफ आदिवासी, किसानों, मजदूरों, जवानों, महिलाओं, की बुनियादी हक़ और सामाजिक न्याय प्राप्त करने की आवाज़ को दबाती है।
समस्त भारत में और आदिवासी बाहुल क्षेत्रों में आदिवासी, बंजारों, किसानों, मजदूरों, जवानों, महिलाओं, के साथ हत्याएं, बलात्कार, ज़मीन पर कब्जे लगातार हो रहे हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने फरवरी 2000 में 1952 के आदतन अपराधी अधिनियम को निरस्त करने की सिफारिश भी की।
परन्तु आजादी के ७५ वर्षों बाद भारत सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है।
और भारत के मूल निवासी आज भी आदतन अपराधी अधिनियम में दर्ज हैं।
इसी कारण भारत की पुलिस आदिवासी, बंजारों, किसानों, मजदूरों, जवानों, को आदतन अपराधी मानती है।
और न्याय देना ही नहीं चाहती।
भारत सरकार, और राज्य सरकारों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ और आदिवासी समाज से संबंध रखने वाले अरबा-खरबा तरना दल की सदस्य जरनैल कौर उर्फ़ तरीका तरंगिनि, और उनके साथी हरदिया, ज्योति, सुमेर पहलवान, इत्यादी आदिवासी समाज के भारतीय नागरिकों के साथ जान-माल के नुकसान और महिलाओं से बलात्कार के समर्थन में भारत सरकार और राज्य सरकार के विरोध प्रगट करने और दोषियों पर सख्त उचित कार्यवाही की मांग में 2 जुलाई 2022 सुबह 10 बजे जंतर-मंतर दिल्ली में विशाल धरने का आयोजन किया जा रहा है।
ज्ञात हो की छत्तीसगढ़ राज्य में नवीन जिंदल ने आदिवासियों की सैंकड़ों एकड़ ज़मीन धोखे और जबरदस्ती हथिया कर, और विरोध करने पर आदिवासियों पर जान-मॉल के नुकसान के हमले, बलात्कार के केस दर्ज होने पर और माननीय न्यायालयों से फैसले आने पर भी छत्तीस गढ़ सरकार ने कोई सज्ञान नहीं लिया।
श्रीमती द्रौपदी द्रौपदी मुर्मू छत्तीश गढ़ की उपराजयपाल भी रही हैं जिन्हें भारतीय जनता पार्टी ने भारत के राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है, उन्होंने भी  जरनैल कौर उर्फ़ तरीका तरंगिनि, और उनके साथी हरदिया, ज्योति, सुमेर पहलवान, इत्यादी की समस्याओं पर यी सज्ञान नहीं लिया।
अनेक वर्षो के इंतज़ार के बाद आदिवासी, किसानों, मजदूरों, जवानों, महिलाओं, की बुनियादी हक़ और सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली, महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार, माननीय मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट, प्रधान मंत्री भारत सरकार, प्रिंसिपल सक्रेटरी भारत सरकार, ग्रह मंत्री भारत सरकार,  ग्रह सचिव भारत सरकार, महानिदेशक पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो, गृह मंत्रालय, छत्तीसगढ़ राजयपाल, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, मुख्य सचिव छत्तीसगढ़, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, ग्रह मंत्रालय छत्तीसगढ़, को धरने के बाद ज्ञापन देंगे।
यह एक दिन का संकेतिक धरना है।
यदि 15 के अंदर कोई संतोषजनक कार्यवाही नहीं की गयी स्थाई धरना लगे जायेगा।

आयोजक
भारत के आदिवासी, बंजारा समाज, किसान, मजदूर, जवान, महिलाऐं।
जरनैल कौर उर्फ़ तरीका तरंगिनि, और उनके साथी ज्योति हरदिया, ज्योति, सुमेर पहलवान, हरमन सिंह, प्रभजीत सिंह इत्यादि।

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