संथाल को संताल भी कहा जाता है
संथाल को संताल भी कहा जाता है। सांथा का मतलब काम और आला का मतलब मैन होता हैं। यानी शांत व्यक्ति। संथाल समुदाय के ज्यादातर लोग झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में रहते हैं। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले से आती हैं, जहां बड़ी संख्या में संथाल समुदाय के लोग रहते हैं।
रिटेन रिकॉर्ड की कमी के चलते संथाल समुदाय की ओरिजिन की सही तारीख तो नहीं पता है, लेकिन माना जाता है कि नॉर्थ कंबोडिया के चंपा साम्राज्य से इनका ओरिजिन हुआहै। भाषाविद् पॉल सिडवेल के मुताबिक, संथाल 4000 से 3500 साल पहले भारत में ओडिशा के तट पर पहुंचे थे। 18वीं शताब्दी के अंत तक यह एक घुमंतू समूह था, जो धीरे-धीरे बिहार, ओडिशा और झारखंड के छोटा नागपुर पठार में बस गया था।
संथाल जनजाति के लोग संथाली भाषा बोलते हैं। इस भाषा को संथाल विद्वान पंडित रघुनाथ मुर्मू ने ओल चिकी नामक लिपि में लिखा है। ओल चिकी लिपि में संथाली को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। संथाली के अलावा वे बंगाली, उड़िया और हिंदी भी बोलते हैं।