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Sawan Somwar 2023: सावन सोमवार पर जलाभिषेक के समय करें इस स्त्रोत का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव महज जलाभिषेक से भी प्रसन्न हो जाते हैं।

उनकी कृपा से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। अतः शिव भक्त गंगाजल दूध या सामान्य जल से महादेव का अभिषेक करते हैं। अगर आप भी देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सावन सोमवार पर जलाभिषेक के समय शिवाष्टक का पाठ अवश्य करें।

शिव स्तुति

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् ।

भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणेशादि पालम ।

जटाजूट गङ्गेत्तरङ्गै र्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् ।

अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् ।

गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम् ।

परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोज नम्राय कामं ददानम् ।

बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।

अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारं।

श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणे पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम् ।

सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति ॥

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