सदर अस्पताल के इमरजेंसी में कुपोषित बच्चों की हो रही देखभाल
पोषण पुनर्वास केंद्र के संचालन की जल्द होगी व्यवस्था
बांका, 6 नवंबर।
बांका के सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र बंद हो जाने के बाद कुपोषित बच्चों की देखभाल अस्पताल के इमरजेंसी में हो रही है। दरअसल, पोषण पुनर्वास केंद्र चलाने वाली एजेंसी का कार्यकाल खत्म हो गया है। कोरोना और चुनाव के कारण नए सिरे से उसकी व्यवस्था अभी नहीं हो पाई है।
इमरजेंसी में कुपोषित बच्चों के इलाज की व्यवस्था-
सदर अस्पताल के मैनेजर अमरेश कुमार ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में आने वाले बच्चों के इलाज़ और देखभाल की व्यवस्था अभी इमरजेंसी में की गई है। चुनाव खत्म होने के बाद नए सिरे से पोषण पुनर्वास केंद्र की व्यवस्था की जाएगी।
कुपोषित बच्चों की होती है देखभाल:
पोषण पुनर्वास केंद्र में आने वाले बच्चों की 21 दिनों तक देखभाल होती है। इस दौरान बच्चे को पोषण के प्रति जागरूक किया जाता है। सही पोषण क्या है, इसके बारे में बताया जाता है। बच्चे के साथ उसकी मां को भी रहने की छूट दी जाती है। 21 दिन में जब बच्चा स्वस्थ हो जाता है तो वहां से जाने की इजाजत दी जाती। अभी यह व्यवस्था सदर अस्पताल के इमरजेंसी में की गई है।
कुपोषित बच्चों को ढूंढने में आईसीडीएस करता है मदद: आईसीडीएस के कर्मी कुपोषित बच्चों को चिन्हित करते हैं। सेविका -सहायिका घर-घर घूमकर कुपोषित बच्चों की पहचान करती हैं। पहचान हो जाने के बाद उसे पोषण पुनर्वास केंद्र भेज दिया जाता है। इसके अलावा आंगनवाड़ी केंद्र पर आने वाले बच्चों में से भी कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है।
बच्चों के सही पोषण का रखें ख्याल:
सही पोषण नहीं मिलने से बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। इससे बचने के लिए परिजन द्वारा बच्चे की विशेष देखभाल की जरूरत है। बच्चा जब 6 महीने का हो जाए तो सिर्फ स्तनपान से उसका पोषण पूरा नहीं हो पाता है। इसलिए उसे खिचड़ी, खीर जैसे पूरक आहार देना शुरू करें। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता चला जाए उसकी जरूरत के मुताबिक उसके भोजन का ध्यान रखें। एक साल के बाद उसे पर्याप्त मात्रा में दूध और हॉर्लिक्स देना शुरू करें। इससे बच्चा कुपोषित नहीं होगा।
कोविड 19 के दौर में रखें इसका भी ख्याल:
• व्यक्तिगत स्वच्छता और 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाए रखें.
• बार-बार हाथ धोने की आदत डालें.
• साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
• छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढकें .
• उपयोग किए गए टिशू को उपयोग के तुरंत बाद बंद डिब्बे में फेंकें .
• घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.
• बातचीत के दौरान फ्लू जैसे लक्षण वाले व्यक्तियों से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें.
• आंख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें.
• मास्क को बार-बार छूने से बचें एवं मास्क को मुँह से हटाकर चेहरे के ऊपर-नीचे न करें
• किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने या बात-चीत करने के दौरान यह जरूर सुनिश्चित करें कि दोनों मास्क पहने हों
• कहीं नयी जगह जाने पर सतहों या किसी चीज को छूने से परहेज करें
• बाहर से घर लौटने पर हाथों के साथ शरीर के खुले अंगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें