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अनुसूचित जाति व जनजाति के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को लेकर गृह मंत्रालय ने चिंता व्यक्त किया

अनुसूचित जाति व जनजाति के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को लेकर गृह मंत्रालय ने चिंता व्यक्त करते हुए गृह मंत्रालय के महिला सुरक्षा विभाग की ओर से सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखा है जहाँ इस पत्र में पिछले महीने हुई 26वीं समीक्षा बैठक के सुझावों का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने राज्यों के प्रमुख सचिवों को सलाह दी है कि नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 व अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए।गृह मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि केंद्र सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान अपराधों की रोकथाम पर है। इसलिए सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी जाती है कि वे समय-समय पर आपराधिक न्याय पर विशेष ध्यान दें और केंद्र सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान अपराधों की रोकथाम पर है इसलिए राज्य सरकारों को अनुसूचित जाति व जनजाति के खिलाफ होने वाले अपराधों पर त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है। ऐसे अपराधों के खिलाफ वैधानिक प्रावधानों और मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए। गृह मंत्रालय ने कहा, अपराधों का पता लगाने और जांच में प्रशासन व पुलिस की सक्रिय भूमिका की आवश्यकता है और ऐसे मामलों में अंडर रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए।

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