6 अगस्त से शुरू उपराष्ट्रपति चुनाव, जानिए कैसे होता है उपराष्ट्रपति चुनाव, Uprashtrapati Chunav 2022
देश में राष्ट्रपति के लिए चुनाव चल रहा है और उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना भी जारी हो गयी है इससे पहले हमने आपको राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया बताया था और उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया के बारे मैं
जी हाँ दोनों चुनाव की वोटिंग बिकुल अलग होता है तो शुरू करते हैं और
जानते हैं कि आखिर कैसे अलग होता है राष्ट्रपति से उपराष्ट्रपति का चुनाव और कौन देता है vote
चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है चुनाव के लिए अधिसूचना 5 जुलाई को जारी हो चुकी है जहाँ उम्मीदवार इसके लिए 19 जुलाई तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं और 6 अगस्त को मतदान होना है। जहाँ देश को जुलाई में नए राष्ट्रपति और अगस्त में नए उपराष्ट्रपति मिल जाएंगे
मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है। आपको बता दे की भारत में उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति भी होते हैं
उपराष्ट्रपति अधिकार के मामले में राष्ट्रपति से नीचे लेकिन प्रधानमंत्री से ऊपर होते हैं
उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद हिस्सा लेते हैं। इस चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते हैं , जबकि राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्य सभा सांसद और सभी राज्यों की विधानसभा के विधायक वोटिंग करते हैं,
चलिए जानते है की उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए
उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है , उसकी उम्र 35 साल से ज्यादा होनी चाहिए और राज्यसभा सदस्य चुने जाने की योग्यताओं होनी चाहिए
उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 15000 रुओये नॉमिनेशन के वक्त जमा कराने होते हैं यह जमानत राशि की तरह हैं जो चुनाव हार जाने या फिर 1/6 वोट नहीं मिलने पर यह राशि जप्त हो जाती है
वही बात करें कि उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग कैसे होती है
तो उपराष्ट्रपति चुनाव में इस बार 788 सदस्य वोट डालेंगे राज्यसभा के 245 लोकसभा के 543 सांसद हिस्सा लेंगे
वहीं राज्यसभा सदस्यों में 12 मनोनीत सांसद भी है
वोट अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से होता है इसमें वोटिंग खास तरह से होती है जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं
वोटिंग के दौरान हर वोटर को एक ही वोट देना होता है लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है
बैलेट पेपर पर वोटर को पहली पसंद को एक, दूसरे को दो और इसी तरह से प्राथमिकता तय करनी होती है
अब बात करें कि आखिर में वोटों की गिनती कैसे होती है तो
उपराष्ट्रपति चुनाव का एक कोटा तय होता है जिसमे सदस्य वोट डालते हैं उसकी संख्या को 2 से भाग देते हैं और उसमें एक जोड़ देते हैं मान लीजिए कि चुनाव में 787 सदस्यों ने वोट डाला 2 से भाग देने पर 393.50
आता है इसमें 0.50 को गिना नहीं जाता, इतनी संख्या 393
इसमें एक जोड़ने पर 394 होता है चुनाव जीतने के लिए 394 वोट मिलना जरूरी है
वोटिंग खत्म होने के बाद पहले राउंड की गिनती होती है इसमें सबसे पहले यह देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं अगर पहले गिनती में ही किसी उम्मीदवार को जरूरी कोटे के बराबर या उससे ज्यादा वोट मिलते हैं उसे तो विजेता घोषित कर दिया जाता है। उपराष्ट्रपति का चुनाव अबतक लगभग ऐसे ही होता आया है। सेकेण्ड वरीयता की जरुरत नहीं हुयी लेकिन भविष्य में अगर प्रथम वरीयता को बाबूमत नहीं मिला तो द्वितीय वरिता की कोटिंग को जोड़ा जाता है।
जी हाँ तो ये था उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया। उम्मीद है आपको पसंद आयी होगी
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