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लाखों गुमनाम शहीदों को याद करने के लिए मनाया जा रहा है आजादी का अमृत महोत्सव

प्रगतिशील भारत की आजादी के 75 साल के अवसर पर यहाँ की  संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को मनाने के लिए भारत सरकार ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ से एक पहल की है। यह महोत्सव भारत के उन लोगों को समर्पित है, जिन्होंने न केवल भारत को अपनी विकासवादी यात्रा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि उनके भीतर प्रधानमंत्री मोदी के भारत 2.0 को सक्रिय करने के दृष्टिकोण को,
सक्षम करने की शक्ति और क्षमता भी है, जो आत्मनिर्भरता की भावना से प्रेरित है।

आजादी का अमृत महोत्सव भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान के बारे में प्रगतिशील है। “आज़ादी का अमृत महोत्सव” की आधिकारिक यात्रा 12 मार्च, 2021 को शुरू हुयी, जो हमारी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के लिए 75 सप्ताह की उलटी गिनती के साथ 15 अगस्त, 2023 को  समाप्त होगी।

प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च, 2021 को साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से ‘दांडी मार्च’ को हरी झंडी दिखाकर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का उद्घाटन किया।

स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर देश के हर राज्य, जिले और कस्बे में कही साइकिल रैली, कहीं हर घर में तिरंगा झंडा फहराया जाएगा। आजादी के अमृत महोत्सव में भारत को आजादी दिलाने वाले अमर शहीदों को याद किया जा रहा है।

जिसमें  1857 की क्रांति, के बाद आजाद भारत का सपना समय के साथ और प्रबल होता गया। अंग्रेजों की नीति के खिलाफ नरम दल, गरम दल अस्तित्व में आए। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने हंसते हंसते फांसी के फंदे को गले लगा दिया।

इन सभी वीरों की गाथा आज भी लोगों के रगो में उबाल ला देती हैं। इसके आलावा भारत की भूमि पर कई ऐसी महिलाएं भी हुईं, जिन्होंने आजादी की लौ को जलाकर रखा। इन वीरांगनाओं और महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के लिए पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया। कई ऐसी दमदार महिला क्रांतिकारी हुईं, जिन्होंने ऐशो आराम की जिंदगी को त्याग कर देश के नाम अपना जीवन लगा दिया।

भारत के इतिहास में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों का नाम सबसे ज्यादा याद किया जाता है। लेकिन अगर किसी महिला क्रांतिकारी का नाम पूछो, तो सबसे पहले झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का नाम याद आता है। देश की पहली महिला क्रांतिकारी रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी धरती और अपने बेटे की रक्षा के लिए अंग्रेजों से आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी ।

एक महिला पीठ पर बच्चे को टांगे हाथ में अपनी धारदार तलवार लिए सैकड़ों अंग्रेज सैनिकों के सामने डटकर खड़ी रहीं और ब्रिटिश राज में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाते हुए शहीद हो गई। उनका जीवन हर नारी के लिए एक मिसाल है। उनका नाम सशक्त महिला का पर्याय बन चुका है,

दुर्गावती देवी को इतिहास में दुर्गा भाभी के नाम से जाना जाता है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की तरह भले ही दुर्गा भाभी देश के लिए फांसी पर न चढ़ी हों लेकिन उनके कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ती रहीं। उनके हर आक्रमक योजना का हिस्सा बनी। दुर्गा भाभी ने बम बनाना सीखा था। जब देश के सपूत अंग्रेजो से लोहा लेने के लिए घर से निकलते तो वह उन्हें टीका लगाकर विजय पथ पर भेजती थीं। उन्हें गुलाम भारत की आयरन लेडी कहा जाता है।  इसके आलावा आजादी की लड़ाई लड़ने वाले उन लाखो स्वतंत्रता सेनानियों जिन्हे आजादी के बाद सरकार उचित स्थान नहीं दिया उन सभी की यद् में ही मोदी सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव की शुरुआत की

अमृत महोत्सव की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च 2021 को नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे होने पर साबरमती आश्रम से की थी.

जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव का अर्थ आजादी की ऊर्जा का अमृत है। यानी स्वतंत्रता सेनानियों की स्वाधीनता का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव मतलब नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत और आत्मनिर्भरता का अमृत है।

यही सोच अब सम्पूर्ण भारत में विस्तारित हो रहा है , जिसके तहत अगले महीने 15 अगस्त को समस्त देशवासी अपने अपने घरों पर तिरंगा फहरा कर आजादी के 75 साल पूरा होने का जश्न मनाएंगे।

जी है आईये हम सब मिलकर देश को गरीबी से आजादी दिलाने के लिए विकास के पथ पर एक साथ आगे बढे जय हिन् बन्दे मातरम

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