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‘जागरूकता ही बचाव’ – इमा अली

एक महिला के माँ बनने की शुरआत तब होती है जब उसके मासिक धर्म की कर्म से गुजरना शुरू करती है। यह किसी भी महिला के लिए कुदरत द्वारा दिया गया एक वरदान है। महिलाओं में मासिक धर्म ही धरती पर मनुष्य की उत्पति की वजह है।

इसी क्रिया में हर साल 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है। सैकड़ो साल गुजर जाने के बाद भी हमारे समाज में इसे एक कलंक और निषेध
के रूप में माना जाता है जिसे जल्द ही बदलने की ज़रूरत है। इसका उद्देश्य मासिक धर्म में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों के बारे में महिलाओं के साथ पुरुषों को भी जागरूक करने की आवश्यकता है।

यह पाया गया है की पुरुषों में मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूकता की काफी कमी है, ख़ास तौर पर गरीब या विकाशील देशों में। किसी भी समाज में मासिक धर्म से जुड़े सामाजिक कलंक और निषेध को बदलने के लिए समय के साथ विचार और जागरूकता अभियान चलना चाहिए। स्कूल / कॉलेज में इसपर संवाद होना चाहिए ताकि पुरुष मासिक धर्म को अभिशाप के तरह ना देखें।

एक शोध के अनुसार, विकासशील देशों में महिलाओं की मासिक धर्म स्वच्छता इसकी लागत उपलब्धता द्वारा सीमित है। स्वछता के आभाव में महिलाएँ अक्सर कई बीमार पड़ जाती हैं। इसके लिए ज़रूरी है की सरकार और सामाजिक संगठन के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति को समाज में आगे आकर काम करना चाहिए।

मासिक धर्म के समय महिलायें अक्सर जागरूकता के आभाव में मानसिक तनाव से गुजरती हैं और शारीरिक कमजोरी भी महसूस करती हैं। समाज के हर वर्ग को इसके लिए आगे आना होगा और साथ ही खान पान पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। बाज़ार में कई दवाइयॉं और टॉनिक मौजूद हैं जिनका सेवन करने से महिलाओं को लाभ मिलता है।

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