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निमोनिया से बचाव के लिए सम्पूर्ण टीकाकरण जरूरी

-विश्व निमोनिया दिवस आज

  • सर्दियों के मौसम में निमोनिया के संक्रमण का ख़तरा
  • न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) के वैक्सीनेशन से हीं निमोनिया से बचाव सम्भव
  • इस वर्ष का थीम ‘स्टॉप निमोनिया, एव्री ब्रेथ कॉन्ट्स’

मुंगेर, 11 नवंबर। सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ हीं नवजात शिशुओं, बुजुर्गों व आम लोगों के निमोनिया से पीड़ित होने की संभावना बढ़ गयी है। इस बीमारी से नवजात शिशु से पांच वर्ष तक उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। नवजात शिशुओं एवं 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। जिससे उनमें निमोनिया के संक्रमण का खतरा काफी अधिक होता है। मालूम हो कि निमोनियां सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है जो बैक्टेरिया, वायरस और फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। इस वजह से बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। इस बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) का वैक्सीनेशन हीं है। निमोनियां की रोकथाम के लिए इस वर्ष का थीम ” स्टॉप निमोनियां, एव्री ब्रेथ कॉन्ट्स” रखा गया है ।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी प्रकाश चंद्र सिन्हा ने बताया कि निमोनिया से बचने का एकमात्र उपाय सम्पूर्ण टीकाकरण हीं है। उन्होंने बताया कि निमोनया जैसी बीमारी से बचने के लिए नवजात शिशु से लेकर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण करना जरूरी है। निमोनिया से बचाव के लिए शिशु के डेढ़ माह, साढ़े तीन माह और नौ माह के होने पर न्यूमो कॉकल वैक्सीन लगाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इसके साथ हीं नवजात शिशुओं को अन्य 12 तरह की बीमारियों से बचाव के लिए भी टीकाकरण कराना अनिवार्य है। इन बीमारियों में मुख्य रूप से पोलियो, ट्यूबर क्लोसिस(टीबी) , जैपनीज़ इंसेफलाइटिस, डिप्थीरिया, टेटनस, कुकरखांसी, हेपेटाइटिस बी, एच बी इन्फ्लूएंजा, मिजिल्स, रूबेला है। बच्चों का टीकाकरण कर उन्हें इन सभी बीमारियों से बचाया जा सकता है।

क्या है निमोनिया ?
निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण होता है। आम तौर पर यह बीमारी बुखार या जुकाम होने के बाद हीं होता है। सर्दी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा होती है। निमोनिया का प्रारम्भिक इलाज सीने का एक्स- रे करने के बाद क्लीनिकल तरीके से शुरू होता है। निमोनिया बैक्टेरिया, माइक्रोबैक्टेरिया, वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है। इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है।

निमोनिया से बचाव के उपाय :
ऐसे तो निमोनिया से बचाव का एक मात्र उपाय टीकाकरण हीं है । यह एक सांस संबंधी बीमारी है इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके लिए नवजात एवं छोटे बच्चों के रखरखाव, खानपान एवं कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। सर्दी के मौसम में हमेशा बच्चों को गर्म कपड़े पहनाने एवं खाने- पीने में गर्म पदार्थो का हीं इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ हीं वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो। इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।

कोरोना काल में बरती जाने वाली सावधानी :
कोरोना काल में निमोनिया से बचने के लिए अति आवश्यक है कि सभी लोग हमेशा मास्क का उपयोग करें। इसके साथ हीं दो गज की शारीरिक दूरी के नियम का भी इस्तेमाल निश्चित तौर पर करें। समय – समय पर साबुन या सैनिटाइजर से हाथ की साफ- सफाई भी निमोनिया से बचाव के उपाय हो सकते हैं।

कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन-,

  • एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
  • सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
  • अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
  • आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।

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