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यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों की पढ़ाई को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय में हो रही है चर्चा

रूस और यूक्रेन की युद्ध ने हजारों भारतीय मेडिकल छात्रों के भविष्य को अंधेरे में डाल दिया है हालाँकि यूक्रेन से लौटे भारत मेडिकल छात्रों की बाकी बची हुई शिक्षा स्वदेश में ही पूरी हो उसे लेकर केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय में योजना बनाने को लेकर चर्चा चल रही है। बता दें कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने इन छात्रों को भारत के मेडिकल कालेज में क्लीनिकल ट्रेनिंग पूरा करनेIndian medical students returned के संबंध में योजना बनाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मंत्रालय की राय मांगी थी और  सु्प्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय चिकित्या आयोग को निर्देश दिया था कि दो महीने में एक योजना तैयार करे ताकि युद्ध से प्रभावित छात्रों को देश के मेडिकल कालेज में क्लीनिकल प्रशिक्षण पूरा करने की अनुमति दी जाए ,वहीँ विदेश मंत्रालय ने भी स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखकर आग्रह किया है कि जो भी मेडिकल छात्र यूक्रेन से पढ़ाई आधी-अधूरी छोड़कर भारत आए हैं, उन्हें पढ़ाई पूरी करने के लिए भारतीय निजी चिकित्सा संस्थानों में दाखिले की इजाजत दी जाए। हालांकि यह कदम सिर्फ एक बार अपवाद के तौर पर ही भारतीय निजी चिकित्सा संस्थानों द्वारा उठाया जाए।

गौरतलब है कि वर्तमान में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के नियमों के तहत विदेशों में मेडिकल कोर्स करने वाले भारतीय छात्रों को समायोजित करने के लिए कोई मानदंड नहीं हैं क्यूंकि यूक्रेन से लौटे छात्रों की संख्या स्पष्ट नहीं है और भारत में कालेजों में चल रहे शैक्षणिक सत्रों के बीच इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को समायोजित करना एक मुश्किल काम है। एक रास्ता खोजने के लिए विचार-विमर्श जारी है।6 मई को, एनएमसी ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा कि शीर्ष अदालत ने नियामक के मुताबिक, दो महीने के भीतर एक योजना तैयार किया जाए, जिससे छात्रों को 12 महीने की इंटरशिप भारत में पूरा करने की इजाजत मिले।

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