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Doctor Vandana is busy serving patients by winning the battle against
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कोरोना से जंग जीतकर मरीजों की सेवा में जुटी है डॉक्टर वंदना


– प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र असरगंज में कार्यरत हैं महिला चिकित्सक 
– अदम्य साहस और मजबूत आत्मबल और मनोबल से जीती जंग 
मुंगेर, 10 दिसंम्बर : कोरोना वायरस के संक्रमण ने किसी को भी नहीं छोड़ा चाहे वो डॉक्टर- नर्स हो या कोई अन्य लोग। कोरोना काल में जब भारत सरकार के निर्देश के बाद लगभग पूरा देश अपने- अपने घरों में कैद हो गया था। उस वक्त भी कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों के इलाज के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना जो लोग अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्यरत थे, वो डॉक्टर, नर्स सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी हीं थे। इसी कड़ी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र असरगंज में कार्यरत लेडी डॉक्टर वंदना भी है। जिन्होंने अपने जान की परवाह न करते हुए मानवता की रक्षा के लिए कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में जुटी रही। हालांकि इस दौरान वो खुद भी कोरोना वायरस के संक्रमण से बच नहीं सकी और कोरोना संक्रमित हो गई। 

मजबूत इच्छा शक्ति, आत्मबल और मनोबल से जीती जंग : 
डॉ. वंदना ने बताया कि “जिस समय कोरोना के डर से कोई अपने घर से बाहर नहीं निकलना चाहता था। उस समय हमारे घर वाले भी कहते थे तुम्हें घर से बाहर जाने की क्या जरूरत है ?, क्या तुम्हें अपने जान की कोई परवाह नहीं है? लेकिन मैं सिर्फ इतना कहती थी कि मैं एक डॉक्टर हूँ और मेरा पहला कर्तब्य अपने पास आने वाले सभी मरीजों का इलाज करना है चाहे वो मरीज कोरोना संक्रमित हीं क्यों न हो। भले हीं इस दौरान में खुद कोरोना संक्रमित हो जाऊं। हालांकि मरीजों का ईलाज करते- करते मै खुद भी कोरोना संक्रमित हो गई और खुद को आईसोलेट करते हुए सेल्फ क्वारेंटाइन हो गई। इस दौरान मैंने इम्युनिटी बढ़ाने वाले पोषक तत्वों का पूरा इस्तेमाल किया। इसके बदौलत हीं कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने में सफल हो पाई”। 

कोरोना को मात देकर काम पर लौटी डॉ. वंदना 
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र असरगंज के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ललन प्रसाद ने बताया कि यू तो स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाला सभी स्वास्थ्य कर्मी एक कोरोना योद्धा हीं हैं। कोरोना काल में जिस तरह से अपनी जान की बाजी लगाकर स्वास्थ्य कर्मियों ने काम किया है वो किसी योद्धा से कम नहीं है। लेकिन जिस तरह से असरगंज पीएचसी में कार्यरत डॉक्टर वंदना ने अपनी दायित्वों का निर्वहन किया है वो काबिले तारीफ है। हालांकि इस दौरान वो खुद भी कोरोना संक्रमित हो गई। बावजूद इसके अपनी अदम्य साहस, आत्मबल और मनोबल के बदौलत कोरोना वायरस के संक्रमण को मात देकर अपने काम पर लौट आई है। स्वास्थ्य क्षेत्र में करने वाले सभी स्वाथ्य कर्मियों को डॉ. वंदना के अदम्य साहस से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। 

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन आने तक बरतें ये सावधानी : 
जब तक कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के वैक्सीन नहीं आ जाता है तब तक अनिवार्य तौर पर मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। क्योंकि अभी मास्क ही वैक्सीन है।
 
– भीड़- भाड़ वाले स्थानों पर जाने पर शारीरिक दूरी के  नियम का अनिवार्य तौर पर करें पालन 

– किसी भी चीज को छूने की स्थिति में अपने हाथों को साबुन या सैनिटाइजर से करें साफ ।

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