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Great work at a young age, youth made aware the village corona free
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छोटी उम्र में बड़े काम, युवाओं ने लोगों को जागरूक कर गांव को रखा कोरोना मुक्त

खरीक प्रखंड के मीरजाफरी गांव के युवाओं ने कोरोना को लेकर चलाया जागरूकता अभियान

5 हजार की घनी आबादी रहने के बावजूद गांव अभी तक बना हुआ है कोरोना मुक्त

भागलपुर, 11 दिसंबर

देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर. इस कहावत को चरितार्थ किया है खरीक प्रखंड के मीरजाफरी गांव के युवाओं ने. गांव की लगभग 5 हजार आबादी है. सघन आबादी रहने से गांव में कोरोना के संक्रमण की संभावना ज्यादा थी, लेकिन गांव के युवाओं ने अपनी जिम्मेदारी को समझा और लोगों को कोरोना को लेकर जागरूक किया. इसका परिणाम यह रहा कि आसपास के गांव में काफी संख्या में कोरोना मरीज मिलने के बावजूद यह गांव अभी तक कोरोना से अछूता है. यहां से अभी तक एक भी मरीज नहीं निकला है.

सबसे पहले प्रवासी भाइयों को समझाया: गांव में कोरोना के प्रति जागरूकता अभियान का नेतृत्व करने वाले 32 वर्षीय रंजन कुमार कहते हैं कि उनके गांव से बड़ी संख्या में लोग बाहर काम करते हैं. कोरोना काल जब शुरू हुआ तो वहां से वे लोग वापस घर आने की सोच रहे थे. उस समय तक इस इलाके में कोरोना ने अपना पांव नहीं पसारा था. उन्हें आशंका थी कि कहीं बाहर से आए लोगों से गांव के लोगों में कोरोना का संक्रमण नहीं हो जाए. इसलिए वह कुछ युवा दोस्तों के साथ मिलकर उनलोगों के आने के पहले से ही सतर्क हो गए. जब प्रवासी भाई आने लगे तो पास में बने क्वारंटाइन सेंटर में पहुंचाने की जिम्मेदारी उन्होंने व उनके साथियों ने संभाली. वहां से अवधि पूरी होने के बाद ही उन लोगों को गांव में आने दिया.

शुरुआत में हो रही थी मुश्किल: जागरूकता अभियान में रंजन का साथ दे रहे 19 वर्ष के शिवम कुमार ने बताया कि शुरुआत में बहुत मुश्किल हो रही थी. घर के लोग बाहर से आए सदस्यों से मिलने को आतुर हो रहे थे, उनकी भावनाओं को नियंत्रित करना बहुत ही मुश्किल था. लेकिन जब हमलोगों ने घर के सदस्यों को समझाया कि यह आपकी भलाई के लिए ही कर रहे हैं तो वे लोग मान गए और क्वारंटाइन सेंटर पर मिलने से जाने से परहेज करने लगे. बाहर से आए प्रवासी भाई 15 दिन की अवधि पूरी होने के बाद ही घर गए.

बाहर से आए लोगों पर रख रहे थे नजर: स्नातक अंतिम वर्ष का छात्र 22 वर्षीय अमन किशोर कहते हैं कि बाहर से आए प्रवासी लोग अपने दोस्तों और घर के सदस्यों से चोरी-छिपे मिलने चले ना जाए, इसकी भी आशंका हमलोगों के मन में थी. इसलिए हमलोग सख्त निगरानी रखते थे. घर के सदस्यों के साथ गांव में उनके दोस्तों को समझाया कि अभी ऐसा ना करें. कुछ समय तक परहेज करें. उसके बाद आप अपनी पुराने दुनिया में लौटें.

गांव के लोगों को किया सतर्क: 18 साल के कुमार अमन कहते हैं कि सिर्फ प्रवासी भाइयों की देखभाल करने से ही कोरोना से बचना मुश्किल था. आसपास के गांव के कई लोग कोरोना की चपेट में आ गए थे. ऐसे में गांव के लोगों को बिना जागरूक किए कोरोना से बचना मुश्किल था. इसलिए हमलोगों ने घर-घर जाकर लोगों से मास्क पहनने की अपील की. बाहर से आने पर हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग करने को कहा. इसके अलावा लोगों से शारीरिक दूरी का पालन करने की बात भी कही. लोगों ने भी इसको माना और इसका परिणाम आप सबके सामने है.

जागरूकता अभियान चलाने से गांव के लोगों में विश्वास लौटा: 18 साल के ही नितिन कुमार कहते हैं कि कोरोना से बचाव के लिए सतर्कता ही एकमात्र हथियार है. इसलिए हमलोगों ने इसी पर ध्यान दिया. इसमें हमारे गांव के लोगों का भी सहयोग रहा. आसपास के गांव में कोरोना पीड़ित मिलने से गांव के लोग खौफजदा हो गए थे, लेकिन जब उन्हें बचाव के उपाय समझाया तो उनमें विश्वास लौटा और लोगों ने बचाव के उपाय किए. इसका परिणाम यह है कि गांव अभी तक कोरोना मुक्त है.

कोविड 19 के दौर में रखें इसका भी ख्याल:
• व्यक्तिगत स्वच्छता और 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाए रखें.
• बार-बार हाथ धोने की आदत डालें.
• साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
• छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढंके.
• उपयोग किए गए टिशू को उपयोग के तुरंत बाद बंद डिब्बे में फेंके.
• घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.
• बातचीत के दौरान फ्लू जैसे लक्षण वाले व्यक्तियों से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें.
• आंख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें.
• मास्क को बार-बार छूने से बचें एवं मास्क को मुँह से हटाकर चेहरे के ऊपर-नीचे न करें
• किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने या बात-चीत करने के दौरान यह जरूर सुनिश्चित करें कि दोनों मास्क पहने हों
• कहीं नयी जगह जाने पर सतहों या किसी चीज को छूने से परहेज करें
• बाहर से घर लौटने पर हाथों के साथ शरीर के खुले अंगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें

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