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छह माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार है जरूरी

          बच्चों के संतुलित पोषण से बौनेपन में आयेगी कमी

सही और संतुलित पोषण न मिलने से बच्चे बौनेपन के शिकार हो जाते

लखीसराय / 12 अक्टूबर।
बेहतर मातृ एवं शिशु पोषण सुनिश्चित कराना पहले से ही एक चुनौती रही है लेकिन कोरोना महामारी ने इस समस्या को और गति दे दी है। मातृ एवं शिशुओं को कुपोषण के दंश से बचाने के लिए पोषण पर ध्यान देना उतना ही जरूरी है जितना कि एक शरीर के लिए शुद्ध हवा।
डॉ. कुमारी पूजा बताती हैं सही और संतुलित पोषण न मिलने से बच्चे बौनेपन के शिकार हो जाते हैं। इसलिए प्रसव के एक घन्टे के भीतर ही शिशु को स्तनपान जरूर कराना चाहिए। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। वहीं जन्म के 6 महीने तक बच्चे को केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। इस दौरान ऊपर से पानी भी शिशु को नहीं देना चाहिए।
छह माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार है जरूरी :
डॉ. कुमारी पूजा बताती हैं कि 6 माह के बाद बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से शुरू हो जाता है। इसलिए 6 माह के बाद सिर्फ स्तनपान से जरूरी पोषक तत्व बच्चे को नहीं मिल पाता है। इसलिए छ्ह माह के बाद अर्ध ठोस आहiर जैसे खिचड़ी, गाढ़ा दलिया, पका हुआ केला एवं मूंग का दाल दिन में तीन से चार बार जरूर देना चाहिए। दो साल तक अनुपूरक आहार के साथ माँ का दूध भी पिलाते रहना चाहिए ताकि शिशु का पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास हो पाए। उन्होंने बताया कि उम्र के हिसाब से ऊँचाई में वांछित बढ़ोतरी नहीं होने से शिशु बौनेपन का शिकार हो जाता है। इसे रोकने के लिए शिशु को स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार जरूर देना चाहिए।
शुरुआती 1000 दिन नवजात के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था
जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र चौधरी ने बताया पहले 1000 दिन नवजात के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है जो कि महिला के गर्भधारण करने से प्रारम्भ हो जाते हैं। आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं बौद्धिक विकास अवरुद्ध हो सकता है जिसकी भरपाई बाद में नहीं हो पाती है। शिशु जन्म के बाद पहले वर्ष का पोषण बच्चों के मस्तिष्क और शरीर के स्वस्थ विकास और प्रतिरोधकता बढ़ाने में बुनियादी भूमिका निभाता है। शुरुआती 1000 दिनों में बेहतर पोषण सुनश्चित होने से मोटापा और जटिल रोगों से भी बचा जा सकता है।
डॉ चौधरी ने बताया गर्भावस्था के दौरान महिला को प्रतिदिन के भोजन के साथ आयरन और फॉलिक एसिड एवं केल्सियम की गोली लेना भी जरूरी है। एक गर्भवती महिला को आहार सेवन में अधिक से अधिक विविधता लानी चहिए।
गर्भावस्था में बेहतर पोषण शिशु को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान आयरन और फॉलिक एसिड के सेवन से महिला एनीमिया से सुरक्षित रहती हैं एवं इससे प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्त श्राव से होने वाली जटिलताओं से भी बचा जा सकता है। वहीँ कैल्शियम का सेवन भी गर्भवती महिलाओं के लिए काफ़ी जरूरी है। इससे गर्भस्थ शिशु के हड्डी का विकास पूर्ण रूप से हो पाता है एवं जन्म के बाद हड्डी संबंधित रोगों से शिशु का बचाव भी होता।

कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन–

  • एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
  • सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
  • अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
  • आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
  • छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।

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