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भागलपुर जिले के 15 नए आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण के प्रति किया गया जागरूक

गर्भवती और धातृ महिलाओं के साथ बच्चों के सही पोषण की जानकारी दी गई
15 आंगनबाड़ी केंद्रों का आईसीडीएस और मनरेगा ने मिलकर किया है निर्माण
भागलपुर, 11 अप्रैल
आईसीडीएस ने मनरेगा के साथ मिलकर बिल्डिंग एस लर्निंग एड (बाला) के तहत जिले में 15 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण किया है। इन सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सोमवार को पोषण को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इन सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर काफी संख्या में ग्रामीण पहुंचे थे। इस दौरान लोगों को सही पोषण के बारे में जागरूक किया गया। गर्भवती व धातृ महिलाओं के साथ-साथ नवजात शिशुओं के पोषण के बारे में लोगों को बताया गया। इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगे स्टॉल पर स्वस्थ बच्चा, देश अच्छा और हमें चाहिए अच्छा पोषण, दूर रहेगा तभी कुपोषण जैसे नारे तख्तियों पर लिखे हुए थे। 
सुल्तानगंज की करहरिया पंचायत में आईसीडीएस की डीपीओ सीलिमा कुमारी की मौजूदगी में एक सफल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि पोषण को लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मौजूद ग्रामीणों को घर की गर्भवती और धातृ महिलाओं के पोषण के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही नवजात की देखभाल के बारे में बताया गया। नवजात को किस अवस्था में क्या पोषण देना चाहिए, इसके बारे में लोगों को बताया गया। इसके अलावा जगदीशपुर की जमनी पंचायत, शाहकुंड की दीनदयालपुर-1 और 2 पंचायत, सन्हौला की बड़ीनाकी, ताड़र और धुआवै में दो जगह, गोपालपुर की अभिया पछगछिया, कहलगांव की ओरियप में दो जगह और सिया, रंगरा की भवानीपुर, सबौर की सरधो और सुल्तानगंज की कटहारा पंचायत स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण पखवाड़ा का आयोजन किया गया। वहां पर भी लोगों को गर्भवती और धातृ महिलाओं के साथ नवजात के सही पोषण के बारे में जागरूक किया गया।
छह महीने तक स्तनपान जरूरीः डीपीओ ने बताया कि नवजात को छह महीने तक स्तनपान कराने की सलाह दी गई। इससे बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे वह भविष्य में बीमारियों की चपेट में आने से बचा रहता है। साथ ही अगर बीमार हो भी जाता है तो उससे आसानी से उबर जाता है। छह महीने के बाद बच्चों को पूरक आहार देना चाहिए। बच्चा जब छह माह का हो जाता है तो सिर्फ मां के दूध से उसका काम नहीं चलता है, इसलिए उसे खीर, खिचड़ी, दलिया इत्यादि पूरक आहार देना चाहिए। इससे उसे सही पोषण मिल पाता है। इस बात की जानकारी पोषण अभियान के दौरान मौजूद रहे ग्रामीणों को दी गई।

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