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Proper nutrition is necessary for physical and mental development in adolescence
राज्य

किशोरावस्था में शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए सही पोषण जरूरी

बेहतर किशोरी स्वास्थ्य, स्वस्थ्य मातृत्व की कुंजी पोषक तत्व शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को करते हैं मजबूत आयरन व विटामिन महत्वपूर्ण 
लखीसराय, 28 जुलाई:

शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण अवधि मानी जाती है।  कोविड -19 के समय में बढ़ती हुई उम्र के बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के प्रति ध्यान देना हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य बनता है. इस दौरान संपूर्ण विकास के लिए सही पोषक तत्वों की अहम भूमिका होती है। पोषक तत्व शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं और शरीर के सभी अंगों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। खासकर, किशोरावस्था में इस पर विशेष ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि यह वह दौर होता है, जब शरीर में तेजी से बदलाव होते हैं। इस दौरान अच्छा पोषण स्वस्थ्य मातृत्व को सुनिश्चित करने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकास में भी सहयोगी होता है. 
पोषक तत्वों की सबसे अधिक जरुरत:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत शारीरिक विकास शुरूआती किशोरवस्था में हो जाता है. कुल वजन का लगभग 65 प्रतिशत वजन एवं कुल ऊँचाई का 15 से 20 प्रतिशत किशोरावस्था में ही प्राप्त हो जाता है. इसके अलावा 45 प्रतिशत अस्थि तंत्र का विकास भी इस दौरान ही होता है. इसलिए किशोरावस्था में शेष सभी आयु वर्ग की तुलना में पोषक तत्वों की जरूरत सबसे अधिक होती है. इस दौरान विटामिन ए, विटामिन बी-12, फोलिक एसिड, विटामिन बी-3, विटामिन सी एवं आयोडीन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की अधिक जरूरत होती है. इस दौरान ही पोषक आहार सेवन करने की आदत का विकास होता है जो युवावस्था से लेकर आगे की जिन्दगी पर भी प्रभाव डालता है.  
उम्र के अनुसार पोषक तत्वों की जरुरत: 
नेशनल एकेडेमी ऑफ़ साइंस नेशनल रिसर्च काउंसिल के अनुसार किशोर एवं किशोरियों में उम्र के हिसाब से पोषक तत्वों की जरूरत होती है. 11 से 14 वर्ष तक आयु-वर्ग की किशोरियों में 2200 किलो-कैलोरी एवं इसी आयु-वर्ग के किशोरों में 2500 किलो-कैलोरी उर्जा की जरुरत होती है. जबकि 15 से 18 वर्ष तक आयु-वर्ग तक की किशोरियों के लिए 2200 किलो-कैलोरी ऊर्जा एवं इसी आयु-वर्ग के किशोरों के लिए 3000 किलो-कैलोरी उर्जा की जरुरत होती है. इसी प्रकार आयरन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन सी एवं फोलिक एसिड की मात्रा भी किशोर एवं किशोरियों के उम्र पर निर्भर करती है. 
सुरक्षित मातृत्व के लिए  किशोरी पोषण है महत्वपूर्ण: 
सदर अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति  रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रूपा ने बताया कि किशोरी पोषण स्वस्थ मातृत्व की कुंजी होती है. किशोरावस्था में बेहतर पोषण से किशोरी में खून की कमी नहीं होती है जिससे भविष्य में माँ बनने के बाद प्रसव के दौरान संभावित जटिलताओं में काफ़ी कमी आ जाती है. किशोरी को साप्ताहिक आयरन फ़ोलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली आयरन फोलिक एसिड की गोली का सेवन करना चाहिए. साथ ही रोज के आहार में आसानी से उपलब्ध पोषक तत्वों को शामिल करने से भी स्वस्थ रहा जा सकता है. इसमें हरी साग-सब्जी, मौसमी फ़ल, गुड एवं भूनी हुई चना, दूध के साथ अंडे एवं मीट को शामिल करना चाहिए. इससे किशोरियों को आहार के जरिये संतुलित पोषण प्राप्त हो सकता है

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