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डीएमटी प्रशिक्षण से एनीमिया पीड़ित महिलाओं की पहचान में आई तेजी

-जिले के अस्पतालों में काम करने वाली एएनएम की दक्षता भी बढ़ी
-डीएमटी प्रशिक्षण से जिले में मातृत्व और शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी

भागलपुर, 20 फरवरी

जिले में डीएमटी प्रशिक्षण शुरू होने के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में काफी बदलाव आया है. प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली एएनएम जहां अपने कार्य में दक्ष हुई हैं, वहीं एनीमिया पीड़ित महिलाओं की पहचान में भी तेजी आई है. इसका फायदा यह होगा कि कि जिले में मातृत्व और शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी. केयर इंडिया के अनुसार, जब से डीएमटी प्रशिक्षण की शुरुआत हुई है, तब से जिले के अस्पतालों में काम करने वाली एएनएम के काम करने की क्षमता बढ़ी है. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद बेहतर तरीके से वह अपना काम कर पा रही हैं.

एनीमिया पीड़ित महिलाओं की पहचान में काफी तेजी आई: दरअसल, क्षेत्र में एएनएम ही काम करती हैं, इसलिए इनका पूरी तरह से दक्ष होना बहुत जरूरी होता है. आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका से सामंजस्य बिठाने में भी इन्हें अब सहूलियत हो रही है. ये लोग प्रशिक्षण लेने के बाद अपने क्षेत्र में काम को बेहतर तरीके से कर पा रही हैं. खासकर जब से यह कार्यक्रम शुरू हुआ है, तब से एनीमिया पीड़ित महिलाओं की पहचान में काफी तेजी आई है. दरअसल, एएनएम गर्भावस्था के पहले भी महिलाओं की खून जांच कर रही हैं. अगर महिलाओं में खून की कमी ज्यादा होती है तो उसे फोलिक एसिड की दवा लेने की सलाह दी जाती है. साथ ही खान-पान में क्या बदलाव करना है, उसकी सलाह दी जाती है.

हाइपरटेंशन की पहचान में भी मिल रही मदद: डीएमटी प्रशिक्षण शुरू होने के बाद हाइपरटेंशन से पीड़ित महिलाओं की भी पहचान तेजी से हो रही है. 35 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं की जिले में लगातार जांच हो रही है. जिसमें यह समस्या आती है उनका तत्काल इलाज शुरू कर दिया जाता है. यही कारण है कि मातृत्व और शिशु मृत्यु दर में कमी आने की संभावना है.

प्रसव कार्य में आने वाली जटिलताओं के बारे में समझाया जाता है: एएनएम को प्रशिक्षण देने वाली मेंटर जैनब कमाल कमाल और पूनम कुमारी ने कहा कि हर महीने हमलोग सभी अस्पतालों के दो-दो एएनएम को सदर अस्पताल में प्रशिक्षण देते हैं. उन्हें प्रसव कार्य में आने वाली जटिलताओं के बारे में समझाते हैं. इसके साथ-साथ हाइपरटेंशन व खून जांच की भी बारीकियों से अवगत कराते हैं. प्रशिक्षण लेने के बाद एएनएम अपने अस्पताल और क्षेत्र की एएनएम को इस बारे में प्रशिक्षित करती हैं और वह फिर उसी हिसाब से अपना काम करती हैं. इसका फायदा मिल रहा है.

मातृत्व और शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है मकसद:
मातृत्व और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से डीएमटी प्रशिक्षण की शुरुआत की गई थी. अब इसका असर जिले में दिख रहा है. प्रशिक्षण जब से शुरू हुआ है तब से लेकर अब तक मातृत्व और शिशु मृत्यु दर में काफी कमी देखने में आ रही आई है. प्रशिक्षण के जरिए केयर इंडिया के मेंटर हर महीने एएनएम और जीएनएम को किसी एक चीज की जानकारी देती हैं जिसे वह अपने क्षेत्र में जाकर बाकी एएनएम और जीएनएम को बताती हैं. इसे एक महीने तक फॉलो किया जाता है. फिर दूसरे महीने किसी दूसरी चीज की जानकारी प्रशिक्षण के दौरान एक सप्ताह तक दी जाती है.

कोविड 19 के दौर में रखें इसका भी ख्याल:
• व्यक्तिगत स्वच्छता और 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाए रखें.
• बार-बार हाथ धोने की आदत डालें.
• साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
• छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढकें .
• उपयोग किए गए टिशू को उपयोग के तुरंत बाद बंद डिब्बे में फेंके.
• घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.
• बातचीत के दौरान फ्लू जैसे लक्षण वाले व्यक्तियों से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें.
• आंख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें.
• मास्क को बार-बार छूने से बचें एवं मास्क को मुँह से हटाकर चेहरे के ऊपर-नीचे न करें
• किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने या बात-चीत करने के दौरान यह जरूर सुनिश्चित करें कि दोनों मास्क पहने हों
• कहीं नयी जगह जाने पर सतहों या किसी चीज को छूने से परहेज करें
• बाहर से घर लौटने पर हाथों के साथ शरीर के खुले अंगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें

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